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कानपुर

दशहरे के पुतले में इकबाल करते हैं कमाल की कारीगरी, उस विपत्ति के समय को याद कर आज भी छलक आता है उनका दर्द

उन्होंने बताया कि कार्यक्रम कराने वाली कमेटी के पदाधिकारियों ने उस विपत्ति के समय उनकी हर तरह से मदद की।

कानपुरOct 15, 2021 / 12:06 pm

Arvind Kumar Verma

दशहरे के पुतले में इकबाल करते हैं कमाल की कारीगरी, उस विपत्ति के समय को याद कर आज भी छलक आता है उनका दर्द

दशहरे के पुतले में इकबाल करते हैं कमाल की कारीगरी, उस विपत्ति के समय को याद कर आज भी छलक आता है उनका दर्द

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाए जाने वाले दशहरे (Vijaydashmi Festival) के पर्व को लेकर इस बार लोगों में उत्सुकता दिखाई दे रही है। मगर इससे भी अधिक खुशियों का पर्व इस बार पुतला (Vijaydashmi Ravana Putla) बनाने वाले कारीगरों में देखने को मिल रहा है। हम बात कर रहे हैं कानपुर रेलबाजार निवासी मो. इकबाल की। कानपुर देहात के झींझक नगर में पुतला दहन के कार्यक्रम को लेकर मो. इकबाल रावण का पुतला निर्माण के बाद लेकर कार्यक्रम स्थल पहुंचे। इकबाल का कहना है कि यह उनका पुस्तैनी काम है।
लॉकडाउन के हालातों को सलीम ने किया बयां

मो. इकबाल ने बताया कि दादा नूर मोहम्मद रहमतुल्ला के बाद पिता मो. सलीम पुतला निर्माण का कार्य करते थे। कोरोनाकाल में पिता के इंतकाल के बाद अब वह भी यही काम कर रहे हैं। कोरोनाकाल की पीड़ा को बयान करते हुए उन्होंने बताया कि पिता को 50 वर्ष और मुझे 28 वर्ष यह पुश्तैनी काम करते हो गया, लेकिन ऐसा बुरा समय कभी नहीं आया, लेकिन कार्यक्रम कराने वाली कमेटी के पदाधिकारियों ने उस विपत्ति के समय उनकी हर तरह से मदद की।
इस तरह तैयार किए जाते हैं पुतले

इकबाल कहते हैं कि उनके बनाए हुते पुतले कानपुर, कानपुर देहात, हमीरपुर और औरैया सहित कई जिलों में जाते हैं। एक पुतले को बनाने में 20 से 25 दिन का समय लगता है। इसमें रंगीन पेपर, बांस, लकड़ी, सुतली और रंगो का प्रयोग किया जाता है। झींझक के लिए बनाए गए रावण के पुतले के बारे में उन्होंने बताया कि दहन के समय इसके सर और मुंह से आग के अंगारे निकलेंगे। इस पुतले की ऊंचाई करीब 60 फीट है। इसके बाद पुतले में आतिशबाजो के द्वारा आतिशबाजी लगाई जाएगी।

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