पेशे से ५५ वर्षीय वरिष्ठ अध्यापक रामरूप मीना ने बताया कि वे १९८३ में वे १९ वर्ष के थे, तब उन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी एक डायरी में पढ़ी थी। तभी से उन्होंने रोजाना डायरी लिखने की ठान ली। तभी से वे रोजाना डायरी लिखते हैं। साथ ही संकल्प लिया कि वे हर दिन शाम को डायरी लिखकर ही बिस्तर में सोएंगे। तभी से यह सिलसिला उनका अनवरत जारी है।
मीणा ने बताया कि डायरी लिखने का शौक अब उनकी जिदंगी का हिस्सा बन गया है। डायरी में रोजाना की खबर लिखे बिना उनको चैन की नींद नहीं आती है। उन्होंने बताया कि वे अगर किसी कार्य से घर से बाहर हो तो दूसरे दिन घर आते ही सबसे पहले डायरी में समाचार लिखते हैं। मीणा के पास हर साल की अलग-अलग डायरियां हैं। इनमें दिन व वार अंकित है। मीणा का दावा है कि वे हर महत्वपूर्ण घटना को अपनी डायरी में देखकर बता सकते हैं। मीणा ने बताया कि वे इन सभी डायरियों के संपूर्ण निचौड़ को एक पुस्तक में समाहित करने का जीवन का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि पुस्तक बनने के बाद हर वर्ग के लोगों के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करने में सहयोग करेगी।
स्थानीय खबरें भी
रामरूप की डायरी में देश-विदेश के अलावा जिले की और स्थानीय खबरें भी होती हैं। अपनी डायरी में वे गांव में जन्म-मृत्यु, विवाह, पंचायत, लड़ाई-झगड़ा या कोई अन्य धार्मिक कार्यक्रम के साथ तहसील, जिले व राज्य, देश-विदेश की राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक या अजूबे के समाचार रोजाना लिखते हैं। अनेक लोग उनसे विभिन्न घटनाओं और आयोजनों की तारीख पूछने भी आते हैं।
रचनाएं लिखने का भी है शौक
डायरी लिखने के अलावा करीब पांच वर्ष से मीणा कविता, दोहा, शब्दावली, रचना, मीना पद आदि भी एक अन्य डायरी में लिख रहे हैं। लिखने के साथ उनको बोलने का भी शौक है।