सिलिकोसिस पीडि़तों को सरकारी सहायता की कितनी मलहम लग पाती है, उसकी सच्चाई आंकड़ें बयां करते हैं। मासलपुर क्षेत्र के सामाजिक व आरटीआई कार्यकर्ता मनीराम मीना ने बताया कि वर्तमान में करीब 5873 जनों ने ऑनलाइन पंजीयन कराया।
इनमें से सीएचसी लेबिल पर स्क्रीनिंग के 1292 केस लंबित हैं, वहीं मेडिकल बोर्ड से 1548 केस स्क्रीनिंग के लिए लंबित पड़े हैं। शेष भी प्रक्रियाधीन है।
जिले के लांगरा, मासलपुर, कुडग़ांव, हिण्डौन, मण्डरायल आदि इलाकों में विशेष रूप से खनन कार्य होता है। इन पत्थर खदानों पर हजारों श्रमिक कार्य करते हैं, लेकिन खदानों में श्रमिकों की सुरक्षा की अनदेखी ही की जाती है। न तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में मास्क मिल पाते हैं और ना हीं उन्हें सुरक्षित कार्य करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। ऐसे में कार्य के दौरान पत्थरों से निकलने वाले डस्ट (धूल) उनके शरीर में अन्दर जमा होती रहती है, जिससे वे रोग की चपेट में आ जाते हैं।
करीब 10 माह पहले से सिलिकोसिस के संभावित मरीजों की जांच के लिए पंजीयन ऑन लाइन शुरू किए गए थे। इस अवधि के दौरान 5800 से अधिक रोगियों ने जांच के लिए पंजीयन कराया है। विभागीय प्रक्रिया के अनुसार सिलिकोसिस बीमारी का सत्यापन चिकित्सकों के बोर्ड द्वारा किया जाता है जिसके लिए बैठक होती है। लेकिन पर्याप्त संख्या में रोगियों की जांच नहीं हो पाती।
सिलिकोसिस पीडि़तों को जांच और सहायता में देरी हो रही है। जांच के इंतजार में ही कई पीडि़त दम तोड़ देते हैं। इस बारे में कलक्टर को ज्ञापन सौंपा गया था। करीब एक वर्ष से पीडि़तों को सहायता राशि नहीं मिली है। खनन क्षेत्र में सुरक्षा संसाधनों की भी अनदेखी की जा रही है।
विकास भारद्वाज, सचिव, डांग विकास संस्थान, करौली
जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। समय पर उपचार और प्रमाण पत्र जारी हो, इसके लिए व्यवस्था की हुई है। हालांकि परेशानी यह है कि ऑनलाइन पंजीयन की संख्या काफी अधिक हुई है। 2774 जनों के आवेदन ही निरस्त हुए हैं।
डॉ. विजयसिंह मीना, जिला क्षय रोग अधिकारी, करौली