सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर 2017 को बनास नदी से बजरी खनन और परिवहन पर पाबंदी लगाई। कोर्ट के आदेशों की पालना के लिए माइनिंग विभाग के अलावा पुलिस और प्रशासन को अवैध बजरी खनन और परिवहन रोकने के लिए जिम्मेदार बनाया गया। लेकिन बजरी माफिया से सांठगांठ के चलते अधिकारी आंखें बंद कर बजरी परिवहन को शह दे रहे हैं। हालांकि उच्चाधिकारियों को दिखाने के लिए कभी कभार कार्रवाई जरूर करती है। सवाईमाधोपुर के मलारना व सपोटरा के हाडौती इलाके से निकल रही बनास नदी की बजरी की प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मांग है। बजरी का खनन दर्जनों गांवों के समीप नदी से किया जाता है। खनन व परिवहन को रोकने में पुलिस, परिवहन व खनिज विभाग टीम अनजान बनी रहती है।
आगे-आगे लग्जरी कारों में चलते हैं बजरी माफिया-
सूत्रों के अनुसार बजरी से भरे वाहनों के आगे-आगे अवैध कारोबार से जुड़े लोग लग्जरी कारों में चलते हैं। संयुक्त जांच टीम, बड़े नेता या अधिकारी आने पर बजरी माफियाओं को पहले ही पता लग जाता है। इस पर वे पीछे चल रहे बजरी से भरे वाहनों को सुरक्षित स्थानों पर ठहरने के लिए आगाह कर देते हैं।
बजरी का परिवहन करने वालों ने बताया कि जहां से बजरी निकलती है, वहीं से ‘एंट्री का खेल शुरू हो जाता है। सपोटरा इलाके में हाडौती के समीप से बनास की बजरी का परिवहन ट्रेक्टर-ट्रॉलियों से होता है। जबकि सवाई माधोपुर की मलारना इलाके से बजरी का परिवहन ट्रेलर व डम्परों के जरिए होता है। सूत्रों के अनुसार प्रति ट्रेक्टर से एक हजार से डेढ़ हजार व ट्रेलर से 5 से 8 हजार रुपए के बीच ‘एंट्री’ के नाम पर अवैध रूप से वसूली की जाती है। (पत्रिका संवाददाता)
बजरी से भरे ओवरलोड जो वाहन मिलते हैं, उनको पकडकऱ मुकदमे दर्ज कर कार्रवाई की जाती है।
अविनाश चौहान, परिवहण निरीक्षक , हिण्डौनसिटी। शहर से होकर बनास की बजरी के अवैध परिवहन की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा हो रहा है तो कार्रवाई कर खनिज विभाग को लिखा जाएगा।
– अजीत सिंह, प्रभारी यातायात पुलिस, हिण्डौनसिटी।