सत्यापन के दौरान सरकारी व इंडस स्कूल में दर्ज मिले थे बच्चे
इंडस स्कूलों के बच्चों को मध्यान्ह भोजन देने के लिए जिला पंचायत ने बच्चों का सत्यापन कराया। इसमें अधिकांश ऐसे बच्चे मिले जो सरकारी स्कूल में दर्ज होने के साथ ही इंडस स्कूल में भी दर्ज पाए गए। इसके बाद जिला पंचायत ने इंडस परियोजना के जिला प्रमुख से जनपद सीइओ, बीआरसी से सत्यापित सूची व स्कूलों में भोजन कौन बनाएगा। समूह का नाम व सरकारी स्कूल की बजाय इंडस स्कूल में कितने बच्चे आते हैं, सहित दूसरी जानकारियां मांगी गई। जिला पंचायत के अधिकारियों की मानें तो 16 माह से अधिक का समय बीत गया है और अब तक इंडस द्वारा सूची उपलब्ध नहीं जा रही है। इधर, इंडस की जिला प्रमुख जिला पंचायत, जिला शिक्षा केंद्र पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगा रही हैं।
जिलेभर में हैं 36 स्कूलें
जिले में वर्तमान समय में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के तहत 36 स्कूलें संचालित हो रही हैं। इस स्कूलों में घुमक्कड़, श्रमिक, शाला त्यागी और अप्रवेशी बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए दो साल तक रखा जाता है। इसके बाद उन बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला करना होता था।
-मध्यान्ह भोजन क्यों नहीं मिल रहा है। इसके बारे में मध्यान्ह भोजन प्रभारी से पता लगाया जाएगा। जनपद सीइओ और बीआरसी क्यों सहयोग नहीं कर रहे हैं, इसके बारे में भी जानकारी ली जाएगी। इंडस परियोजना प्रमुख द्वारा मध्यान्ह भोजन बंद है, इसके बारे में जानकारी भी नहीं दी गई।
जगदीश चंद्र गोमे, जिला पंचायत सीइओ।
-जनपद सीइओ और बीआरसी सहयोग नहीं कर रहे हैं। सूची में हस्ताक्षर नहीं कर रहे जिसके चलते बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिल पा रहा है।
रूपल तिवारी, परियोजना निदेशक, इंडस कटनी।
-बीआरसी द्वारा सूची क्यों नहीं उपलब्ध कराई जा रही। इसके बारे में पता लगवाता हूं। इंडस के बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिल रहा है। इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है।
बीबी दुबे, प्रभारी डीपीसी।