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किसानों के सामने गंभीर समस्या: प्रदेशभर की 14 कृषि मौसम सेवा इकाइयों में डलेगा ताला

देशभर कें 199 केंद्र हैं शामिल, अप्रेल माह से नहीं होगा संचालन, किसानों को समय पर नहीं मिल पाएगी मौसम की जानकारी

कटनीJan 22, 2024 / 08:46 pm

balmeek pandey

किसानों के सामने गंभीर समस्या: सहित प्रदेशभर की 14 कृषि मौसम सेवा इकाइयों में डलेगा ताला

किसानों के सामने गंभीर समस्या: सहित प्रदेशभर की 14 कृषि मौसम सेवा इकाइयों में डलेगा ताला

कटनी. कृषि मौसम सेवा के माध्यम से किसानों को पांच दिन पहले से ही आने वाले मौसम में होने वाले बदलाव की जानकारी मिल जाती है। बारिश होना है, कोहरा रहेगा, या पाले व तुषार का खतरा है या फिर कबतक बारिश की संभावना नहीं है, कहां पर पश्चिम विक्षोभ बन रहा है या फिर द्रोणिका गुजर रही है, सब कुछ स्थानीय स्तर पर पता चल जाता है, जिसके आधार पर अन्नदाता खेती व कारोबारी उसी के अनुसार आगे की रणनीति बनाते हैं, लेकिन 1 अपे्रल से लोगों को अनुमान व सटीक जानकारी देने वाले केंद्रों में ताला डल जाएगा। 31 मार्च के बाद कृषि मौसम सेवा इकाइयों का संचालन नहीं होगा। कटनी सहित प्रदेश के 14 जिलों व देशभर की 199 इकाइको को बंद करने का निर्णय लिया गया है। भारत सरकार भारत मौसम विज्ञान विभाग नई दिल्ली द्वारा जारी किए गए फरमान से हडक़ंप मच गया है। एक ओर जहां किसानों को समय पर जानकारी नहीं मिलेगी तो वहीं अधिकारी-कर्मचारियों के सिर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है।

2018 में खुले थे केंद्र
प्रदेश में 130 केंद्र चल रहे हैं। प्रदेश में एमएफयू एग्रोमेट फील्ड यूनिट जबलपुर, पवारखेड़ा, छिंदवाड़ा, टीकमगढ़, मुरैना, इंदौर में संचालित हैं। इन्हीं बड़े कें्रदों के माध्यम से कृषि विज्ञान केंद्रों में कृषि मौसम इकाइयों का संचालन हो रहा है। अब कटनी सहित बालाघाट, दमोह, छतरपुर, सिंगरौली, रीवा, शहडोल, खंडवा, गुना, शिवपुरी, राजगढ़ सहित दो अन्य केंद्र बंद हो जाएंगे। यह केंद्र 2018 से संचालित हो रहे थे। यह योजना केंद्र सरकार ने 2014 में स्वीकृत की थी। पहले फेज में 199 स्थानों पर पूरे देश में लागू हुए थे। दूसरे फेज में 300 स्थानों पर खुलना था, लेकिन कोविड के कारण सुविधा नहीं मिल पाई थी, अब फिर से इन्हें बंद करने की पहल की जा रही है। डिस्ट्रिक एग्रोमेट फील्ड यूनिट के बंद होने से किसानों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा। कृषि मौसम सेवा इकाइयों के बंद हो से 200 केवीके वैज्ञानिकों को बाहर कर दिया जाएगा। कटनी में दो लोगों की पदस्थापना है, जिसमें साइंटिस्ट, ऑब्जर्वर शामिल हैं।

यह होती थी पहल
प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को आगामी पांच दिन के मौसम का नाऊकास्ट बनता है। 12 घंटे के लिए भी नाऊकास्ट तैयार होता था। एडवायजरी के बारे में जानकारी मिल जाती है, लेकिन केंद्रों के बंद होने से बड़ी समस्या हो जाएगी। इस सुविधा के न होने से भोपाल मुख्यालय पर निर्भर रहना होगा, वहां से किसानों को समय पर जानकारी नहीं मिल पाती है, जिससे किसानों को परेशानी होगी।

यह बताई जा रही वजह
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसान विभागों में नहीं जमने के कारण ऐसा हो रहा है। मिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस जो कि कृषि मंत्रालय के माध्यम से संचालन हो रहा है व कृषि मंत्रालय वाले इसे अब नहीं चलाना चाह रहे। इकाइयों को ही बंद करने का निर्णय ले लिया है।

यह जारी हुए हैं निर्देश
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जीकेएमएस) के तहत जिला कृषि मौसम इकाइयों (डीएएमयूएस) की सेवाओं को बंद करने के लिए कहा गया है कि जिला कृषि मौसम इकाइयों (डीएएमयू) को चालू वित्तीय वर्ष 2023-2024 से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। इसलिए, जिला एग्रोमेट इकाइयों (डीएएमयू) की सेवाओं को बंद करने और मौजूदा 199 डीएएमयू को इस तरह से बंद करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें। तैनात जनशक्ति के वेतन के सभी बकाया के साथ-साथ अन्य खर्च भी समाप्त होने से पहले चुकाए जाएं।

वर्जन
भारत सरकार भारत मौसम विज्ञान विभाग से ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जीकेएमएस) के तहत जिला कृषि मौसम इकाइयों (डीएएमयूएस) की सेवाओं को बंद करने के संबंध में आदेश जारी हुए हैं। इसमें प्रदेश के 14 केंद्र शामिल हैं। पत्राचार में देशभर की 199 इकाइयां शामिल हैं। हाइलेवल पर इस संबंध में अभी वार्ता जारी है। मुख्यालय के निर्देश पर आगे की कार्रवाई होगी।
आर बाला सुब्रामण्यम, निर्देशक, मौसम केंद्र भोपाल।

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