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गजब है ओमवती की कहानी: स्वरोजगार से संवारा घर, अब कई गांवों की महिलाओं को कर रहीं ‘आर्थिक सशक्त’

विकासखण्ड विजयराघवगढ़ के ग्राम देवराकला की स्व सहायता समूह सदस्य ओमवती बमर्न। जिन्होंने आजीविका मिशन के माध्यम से स्व सहायता समूह से जुड़कर, समय-समय पर आयोजित होने वाले प्रशिक्षणों में शामिल होकर स्वयं के जीवन में तो परिवर्तन लाया ही तथा अब अपने ग्राम एवं नजदीकी ग्रामों में भी अपने काम के सहारे नाम रोशन कर रही हैं।

कटनीMar 20, 2020 / 09:51 am

balmeek pandey

Omvati Burman is self-employed connecting many village women

Omvati Burman is self-employed connecting many village women

कटनी. कहते हैं यदि मन में दृढ़ विश्वास के साथ कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता तो कदम चूमती ही है साथ ही समाज में सार्थक परिणाम आते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखा रहीं हैं जिले के विकासखण्ड विजयराघवगढ़ के ग्राम देवराकला की स्व सहायता समूह सदस्य ओमवती बमर्न। जिन्होंने आजीविका मिशन के माध्यम से स्व सहायता समूह से जुड़कर, समय-समय पर आयोजित होने वाले प्रशिक्षणों में शामिल होकर स्वयं के जीवन में तो परिवर्तन लाया ही तथा अब अपने ग्राम एवं नजदीकी ग्रामों में भी अपने काम के सहारे नाम रोशन कर रही हैं। ओमवती बर्मन अब किसी परिचय की मोहताज नहीं है। क्षेत्र की महिलाओं की जुबान पर सहज ही इनका नाम रहता है। इन्होंने स्वरोजगार से न सिर्फ अपनी आर्थिक तंगी को दूर कर घर संवारा है बल्कि कई गांवों की महिलाओं को भी आर्थिक सशक्त बना रही हैं। जानकारी के अनुसार ओमवती बर्मन पति राघवेन्द्र बर्मन स्नातक (बीए) की पढ़ाई करने के बाद जब ससुराल पहुंची तो माली हालत ठीक नही थी। ओमवती ने हार नहीं माना और विभाग के माध्यम से ओमशान्ति स्व सहायता समूह तैयार किया और 11 महिला सदस्यों को जोड़ा। समूह अध्यक्ष के साथ गंगा ग्राम संगठन (वीओ) देवराकला में एवं ओम संकुल संगठन (सीएलएफ.) में कम्युनिटी एक्टीविष्ट (सीए) की जिम्मेदारी तक संभाल रही हैं।

 

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प्रशिक्षण लेने के बाद जुटाई हिम्मत
ओमवती बर्मन को आजीविका मिशन द्वारा आरसेटी के माध्यम से बैंक सखी प्रशिक्षण, पुस्तक संचालक का प्रशिक्षण दिया गया। जिसके बाद ओमवती ने स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाए। अब समूह गठन में सहयोग, बैंक सम्बन्धी कार्य जिसमें समूहों का खाता खुलवाना, सीसीएल करवाना, समूह एवं ग्राम संगठनो का दस्तावेज संधारण करवाना, लोगों को शासन की योजनाओं के लिये जागरूक करना इनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। खास बात तो यह है कि समूह की महिलाओं को आमदनी भी बेहतर होने लगी है। समूह का चक्रिय कोष 11 हजार रुपये है। बैंक द्वारा सीसीएल से एक लाख रुपये समूह सदस्यों द्वारा समूह को प्राप्त राशि से चाट-फुल्की दुकान, किराना दुकान एवं सब्जी विक्रय इत्यादि कार्य किये जा रहे हैं।

Omvati Burman is self-employed connecting many village women
IMAGE CREDIT: patrika

ये काम बने आर्थिक आमदनी का जरिया
ओमवती स्वयं का गांव की महिलाओं के साथ कपड़ा सिलाई करना एवं सिखाना जिससे औसत मासिक आय ढाई से तीन हजार रुपये हो रही है। इसके अलावा ब्यूटी पार्लर कार्य जिससे औसत मासिक आय दो हजार रुपये, बैंक सखी एवं अन्य कार्य जिससे औसत मासिक आय 1500 रुपये हो रही है। खास बात यह है कि ग्राम देवराकला में 35 समूहों के खाता खुलवाने एवं दूसरे ग्रामों के 22 खाते खुलवाने में अहम भूमिका रही। साथ ही 42 समूहों के गठन करवानें में सहयोग रहा, जिससे महिलाएं अब स्वालंबन की राह में आगे बढ़ी हैं।

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