वायरस से बचाती है जलनेति
नाक में जलन हो या खून निकल आए तो शुद्ध घी की एक-एक बूंद दोनों में डालना चाहिए। वैसे भी रात को सोते समय भी की कुछ बूंदें प्रतिदिन नाक के अंदर डालें और उसे स्वास्थ्य खींचकर अंदर ले जाएं। इससे विशेष लाभ होता है। स्वास्थ्य के लिए जलनेति बहुत फायदेमंद होती है। जलनेति कोरोना वायरस से बचाव के लिए जलनेति भी बहुत लाभप्रद बताई गई है। योग एक्सपर्ट के अनुसार इसके लिए टोटी वाले लोटे का प्रयोग किया जाता है। लोटे में नमक मिला कुछ हल्का गर्म पानी लिया जाता है, जिस नाक से सांस चल रही हो उसे ऊपर करके लोटे की टोटी को उसमें लगा दें, मुख को खोल कर रखें ताकि स्वास मुख से ली जाए। लोटे को ऊपर उठाएं ताकि पानी नाक में जा सके। पानी एक नाक से जाकर दूसरी ना इसका से बाहर निकलेगा। इसी प्रकार दूसरी नासिका को ऊपर करके उसमें पानी डालकर पहली नासिका से निकालें। विशेष ध्यान रखें कि नाक से श्वास बिल्कुल नहीं लेना है और मुंह खुला रखना है।
जलनेति के बाद करें प्राणायाम
जल नेती के बाद जमीन पर बैठक प्राणायाम अवश्य करें। थोड़ा आगे झुककर गर्दन को दाएं-बाएं ऊपर-नीचे घुमाकर भस्र्तिका करें, ताकि पूरी तरह से नाक साफ हो जाए। पानी ना रुके। इसके अभ्यास से मस्तिष्क संबंधी रोग ठीक होते हैं। बुद्धि तीव्र होती है। अनिद्रा रोग से मुक्ति मिलती है। आंख, नाक, गले के रोग ठीक होते हैं और नेत्र ज्योति बढ़ती है।
उज्जाई प्राणायाम भी है लाभप्रद
योग एक्सपर्ट के अनुसार गले की श्वास नलिका की श्वास क्रिया का यंत्र है कंठ में एक गांठ दिखाई देती है। बैठकर जीभ के अग्र अग्र भाग को उलट कर तालू से लगाएं, पेट थोड़ा अंदर करके दबाएं, हल्के खर्राटे की आवाज में लंबा गहरा श्वास लें और छोड़े। इसे 8 से 10 बार करें। श्वास गले से राजा तक लेनी है और ह्रदय से गले तक छोडऩी है। श्वास की गति एक समान वह भी बहुत धीमी हो। उज्जाई प्राणायाम मिर्गी तथा अन्य दिमागी रोगों के लिए अत्यंत गुणकारी है। इससे सर्दी, जुकाम, खांसी से पीडि़त लोगों को राहत मिलती है। गले, नाक व कान के समस्त रोग ठीक होते हैं। आवाज में मधुरता आती है संगीत। सीखने वालों के लिए यह बहुत लाभकारी है।