इस तपती भीषण गर्मी में कवर्धा वनमंडल अंतर्गत क्षेत्रों में क्षेत्रीय अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा आग बुझाने का प्रयास किया जा रहा है। समय रहते आग पर नियंत्रण करने का प्रयास किया जा रहा है। वन विभाग इन आग को फैलने से रोकने का प्रयास कर रहा है। लेकिन सफलता उतनी नहीं मिल पा रही है, आग लगने से नहीं रोका जा सका है। आग लगने के बाद उसे बुझाने का प्रयास जरूर किया जा रहा है। जबकि कोशिश होनी चाहिए की आग लगे ही न, लगे तो ज्यादा न फैले। वन में आग लगने से वनौषधि, इमारती पेड़ को नुकसान तो होता ही है। साथ ही वन्य प्राणियों के लिए भी खतरा बढ़ जाता है। वनमंडलाधिकारी शशि कुमार ने बताया कि विगत 1 मई 2024 से लगातार कवर्धा वनमंडल के वन परिक्षेत्र कवर्धा, सहसपुर लोहारा, खारा, पंडरिया पूर्व, पंडरिया पश्चिम, भोरमदेव अभ्यारण्य कवर्धा व चिल्फी में लगभग 20 आगजनी के मामले सामने आए हैं। जिस पर क्षेत्रीय अधिकारी एवं कर्मचारियों ने तत्परतापूर्वक नियंत्रण करने की कोशिश की है। पूर्णत: आग बुझाने की दिशा में काम किया जा रहा है। जंगल में आगजनी की खबर मिलते ही कर्मचारी पहुंच जाते हैं।
वन विभाग की स्पेशल टीम इसी काम में लगी
भारतीय वन सर्वेक्षण के माध्यम से प्राप्त अग्नि दुर्घटनाओं का त्वरित निराकरण कर ऑनलाईन रिपोर्ट भेजा जा रहा है। साथ ही फीड बैक दिया जा रहा है। वन विभाग ने पूर्व में 1 मई से 8 मई 2024 तक विशेष अग्नि सुरक्षा अभियान चलाने की जानकारी दी गई थी, जिसके तहत् क्षेत्रीय अधिकारी व कर्मचारियों को आग पर नियंत्रण करने के निर्देश दिए गए हैं साथ ही वनमंडलाधिकारी ने आमजन से अग्नि सुरक्षा को लेकर अपील भी किया है। आग की जानकारी होने पर तत्काली वन अमले को इसकी सूचना दें। ताकि समय रहते कदम उठाया जा सके। वन विभाग की स्पेशल टीम इसी काम में लगी हुई है।
आगजनी से वन्यप्राणियों के जान को भी खतरा
जिले के वनांचल में आगजनी की घटना से वनौषधि के अलावा वन्यप्राणियों को भी नुकसान पहुंचता है। आग से वन्य प्राणी काफी ज्यादा डरते हैं, ऊपर से आग से जलने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में वन्यप्राणियों को अपना स्थान छोड़ना पड़ता है, जो जान बचाने के लिए जंगल से भटकर रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं। जिससे उनकी जान को खतरा होता है। खासकर हिरण, कोटरी, सांभर आदि काफी संवेदनशील होते है। जो अधिक दौड़ने के चलते रहवासी इलाके में पहुंच जाते हैं और लोगों के बीच घबराहट के चलते इनकी जान चली जाती है। इन वन्यप्राणियों को कई जगहों पर कुत्तों के साथ बच्चों के द्वारा दौड़ाने का मामला सामने आया है, जिससे उन्हें असमय ही जान गंवानी पड़ती है। वहीं कहीं हिंसक जानवर भी आग से डरकर गांव की ओर आते हैं। तो इंसानों को भी खतरा हो जाता है। जिसमें भालू, तेंदूआ जैसे हिंसक जानवर शामिल हैं।