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कवर्धा

नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि योग, अश्व पर सवार होकर आएगी माता रानी

मां भगवती की आराधना के इस नौ दिवसीय उत्सव में 7 अप्रैल 9, 10 और 12 को सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। नवरात्र में पूरे चार दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पहली बार बन रहा है।

कवर्धाApr 01, 2019 / 01:46 pm

Panch Chandravanshi

Siddhi Yoga in the Navaratri

Siddhi Yoga in the Navaratri

इंदौरी. इस साल नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू होकर नौ दिनों तक रहेगा। पिछले साल नवरात्र पर्व आठ दिनों का था। नवरात्रि में तीन सर्वार्थ सिद्धि योग, एक रवि पुष्य योग भी बन रहा है। रवि पुष्य योग तंत्र-मंत्र और यंत्र साधना के लिए विशेष फलदाई होता है।
मां भगवती की आराधना के इस नौ दिवसीय उत्सव में 7 अप्रैल 9, 10 और 12 को सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। नवरात्र में पूरे चार दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पहली बार बन रहा है। ज्योतिषाचार्य चंद्रमणि महराज ने बताया कि अश्विन नवरात्रि की तरह चैत नवरात्रि में भी मां दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्र का प्रारंभ शनिवार को होने से माता रानी इस बार अश्व पर सवार होकर आएगी, जो युद्ध का प्रतीक है। देशद्रोही, भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसेगी।
कलश स्थापना के साथ देवी आराधना
ज्योतिष महाराज ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना कर देवी का आह्वान किया जाता है। साथ ही नौ दिनों तक उपवास रख कर मां दुर्गा की पूजा की जाती है। नौवें दिन कन्या पूजन करके व्रत का पारण किया जाता है। वहीं शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू होगी। विक्रम संवत 2076 अनुसार 5 अप्रैल 2019 रेवती नक्षत्र, ऐंद्र योग और मिन राशि के चन्द्र के समय दोपहर 2.20 बजे कर्क लग्न में प्रारंभ होगी। इस सवंत्सर का नाम परिवादी सवंत्सर रहेगा। पूरे वर्ष संकल्प में परिधावी संवत्सर का नाम लिया जाएगा। गुड़ी पड़वा प्रतिपदा शनिवार 6 अप्रैल को प्रारंभ होगी। प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 5 अप्रैल दोपहर 12.20 बजे हो जाएगी जो शनिवार दोपहर 3.23 बजे तक रहेगी।
दशमी और एकादशी एक दिन मनाएंगे
ज्योतिष महराज ने बताया कि 6 अप्रैल को सूर्य व्यापिनी होने से नवरात्र व नव विक्रम वर्ष का प्रारंभ 6 अप्रैल से माना जाएगा। इसी दिन घट स्थापना कर मां भगवती की आराधना की जाएगी। इस दिन से नवरात्र नौ दिन के रहेंगे। दशमी और एकादशी तिथि 15 अप्रैल को मनाई जाएगी। गौरतलब है कि हिंदू पंचांग ही ज्योतिष आधार बनता है और इसी अनुसार ही पर्व मनाए जाते हैं। ज्योतिषचार्य ने बताया कि कलश स्थापना सुख समृद्धि का प्रतीक चैत नवरात्र के पहले दिन घरों में कलश स्थापना की जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कलश को सुख, समृद्धि, वैभव और मंगल कार्यों के प्रतीक माना गया है। कलश स्थापना से पूर्व लोग नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण %E

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