ज्योतिष महाराज ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना कर देवी का आह्वान किया जाता है। साथ ही नौ दिनों तक उपवास रख कर मां दुर्गा की पूजा की जाती है। नौवें दिन कन्या पूजन करके व्रत का पारण किया जाता है। वहीं शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू होगी। विक्रम संवत 2076 अनुसार 5 अप्रैल 2019 रेवती नक्षत्र, ऐंद्र योग और मिन राशि के चन्द्र के समय दोपहर 2.20 बजे कर्क लग्न में प्रारंभ होगी। इस सवंत्सर का नाम परिवादी सवंत्सर रहेगा। पूरे वर्ष संकल्प में परिधावी संवत्सर का नाम लिया जाएगा। गुड़ी पड़वा प्रतिपदा शनिवार 6 अप्रैल को प्रारंभ होगी। प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 5 अप्रैल दोपहर 12.20 बजे हो जाएगी जो शनिवार दोपहर 3.23 बजे तक रहेगी।
ज्योतिष महराज ने बताया कि 6 अप्रैल को सूर्य व्यापिनी होने से नवरात्र व नव विक्रम वर्ष का प्रारंभ 6 अप्रैल से माना जाएगा। इसी दिन घट स्थापना कर मां भगवती की आराधना की जाएगी। इस दिन से नवरात्र नौ दिन के रहेंगे। दशमी और एकादशी तिथि 15 अप्रैल को मनाई जाएगी। गौरतलब है कि हिंदू पंचांग ही ज्योतिष आधार बनता है और इसी अनुसार ही पर्व मनाए जाते हैं। ज्योतिषचार्य ने बताया कि कलश स्थापना सुख समृद्धि का प्रतीक चैत नवरात्र के पहले दिन घरों में कलश स्थापना की जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कलश को सुख, समृद्धि, वैभव और मंगल कार्यों के प्रतीक माना गया है। कलश स्थापना से पूर्व लोग नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण %E