मंदिर की चमत्कारी विशेषता
वैसे तो विश्वभर में भगवान शिव के कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन ओंकारेश्वर के इस शिव मंदिर की बात उनमें सबसे अगल हैं। धार्मिक मान्यता है कि, इस मंदिर में रोज़ाना भगवान शिव और पार्वती चौसर-पांसे खेलते हैं। यह सिलसिला सदियों से इस मंदिर की खास विशेषता बना हुआ है। पुजारी रात के समय पूजा के बाद चौसर-पांसे की बिसात बिछाकर मंदिर कक्ष से आते हैं, आश्चर्य की बता ये हैं सुबह देखने पर ये पांसे उल्टे मिलते है, मानों किसी ने उन्हें पलट दिया हो।
जहां परिंदा भी ना घुस पाए वहां होता है चमत्कार
नर्मदा किनारे ऊंकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर की खास बात ये भी है कि, ये बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक है। ममलेश्वर नाम से प्रसिद्ध चौथे नंबर के इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन के बिना चारों धाम की यात्रा अधूरी होती है। मंदिर के मुख्य पुजारी डंकेश्वर दिक्षित के मुताबिक, भगवान शिव और पार्वती रोजाना रात के समय यहां आकर चौसर-पांसे का खेल खेलते हैं। शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने रोज चौसर-पांसे की बिसात सजाई जाती है। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। छी दिक्षित के अनुसार, मंदिर का पट बंद होने के बाद रात के समय गर्भगृह में परिंदा भी नहीं घुस सकता, लेकिन इसके बावजूद भी यहां कई बार पांसे उल्टे पड़े रहते हैं।
होती है गुप्त आरती
ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग शिव भगवान का विश्वभर में अकेला ऐसा मंदिर है जहां रोजाना गुप्त आरती की जाती है। गुप्त आरती के दौरान पुजारियों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं होती। पंडित डंकेश्वर दीक्षित ने बताया कि, गुप्त आरती रोजाना रात 08:30 बजे से शुरु होती है इसमें शिवलिंग का रुद्राभिषेक करके पूजा की शुरुआत की जाती है। पूजा समाप्त होने के बाद पुजारी चौसर-पांसे सजाकर गर्भगृह का पट बंद कर देते हैं। हर साल शिवरात्रि के मौके पर भगवान के लिए नए चौसर-पांसे मंगाकर सजाए जाते हैं।