तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के शुभारंभ अवसर पर आरएसएस के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांतरंजन ने कहा कि कहा कि वीर सावरकर ने ङ्क्षहदुत्व की सबसे सरल परिभाषा दी थी- जो भारत को अपनी मातृभूमि और पितृभूमि माने, वो हिंदू है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. मलिकेंद्र पटैल ने की। स्वामी विवेकानंद व्याख्यानमाला समिति और डॉ. हेडगेवार समिति के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यानमाला में बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।
आमजनों की भी सावरकर में रुचि
कार्यक्रम स्थल पर किताबों का स्टाल भी लगाया गया। यहां देशप्रेम, प्रमुख नेताओं और आरएसएस संबंधी किताबों की बिक्री की जा रही है। इस स्टाल पर भी सावरकर छाए रहे। यहां किताबें खरीदने आए लोगों ने सबसे ज्यादा सावरकर पर आधारित किताब खरीदी। स्टाल पर सीएए से संबंधित किताबें भी खूब बिकीं।
सबसे ज्यादा चर्चा सावरकर की, लोहिया की भी प्रशंसा
आधुनिक भारत के निर्माता विषय पर प्रमुख वक्ता स्वांतरंजन ने करीब 55 मिनट उद्बोधन दिया। सबसे ज्यादा वीर सावरकर पर बोले। राष्ट्रीय एकता के लिए समाजवादी नेता स्वर्गीय डॉ. राममनोहर लोहिया के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि राममनोहर लोहिया ने चित्रकूट में रामायण मेला की शुरुआत की थी। वर्तमान माहौल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख नेता द्वारा सावरकर के साथ ही प्रमुख समाजवादी नेता लोहिया की भी अहमियत जताने के खास राजनैतिक निहितार्थ हैं।