Meghalaya Elections 2023: पांच साल तक साथ रहे अब एक दूसरे के खिलाफ ठोंक रहे ताल
मेघालय विधानसभा की 60 सीटों पर 27 फरवरी को होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछ गई है। सभी राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारक यहां पूरी ताकत से प्रचार में उतर गए हैं। भाजपा नेता व केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी बड़ी चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं।
Meghalaya Elections 2023: पांच साल तक साथ रहे अब एक दूसरे के खिलाफ ठोंक रहे ताल
शिलांग
मेघालय विधानसभा की 60 सीटों पर 27 फरवरी को होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछ गई है। सभी राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारक यहां पूरी ताकत से प्रचार में उतर गए हैं। भाजपा नेता व केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी बड़ी चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं। चुनावी मैदान में एनपीपी, यूडीपी, भाजपा, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस के अलावा कुछ और स्थानीय दल भी हैं। कहते हैं राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। इसकी बानगी देखना हो तो मेघालय की मौजूदा चुनावी तस्वीर देखनी होगी। वर्ष 2018 से राज्य की सत्ता में काबिज मेघालय डेवलवमेंट अलायंस (एमडीए) का नेतृत्व कर रहे मौजूदा मुख्यमंत्री कोनार्ड संगमा की पार्टी एनपीपी 57 सीटों पर, एमडीए के घटक दल रहे यूडीपी ने 40 सीटों पर और इसी गठजोड़ में सरकार चलाने में शामिल रही भाजपा ने सभी 60 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। पांच साल तक तीनों पार्टियों ने मिलकर सरकार चलाई और ऐन चुनाव से पहले उनक गठजोड़ टूट गया। सभी अपनी- अपनी बांसुरी और अपना- अपना राग बजा रहे हैं। एक दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं और दो मार्च को आने वाले परिणामों में अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। मेघालय की राजनीति के रंग यही खत्म नहीं होते। कांग्रेस के एक दर्जन विधायकों को पार्टी नेता मुकुल संगमा के साथ अपनी पार्टी में शामिल करा चुकी तृणमूल कांग्रेस भी यहां दमखम के साथ चुनावी मैदान में है। तृणमूल विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा राज्य में परिवर्तन की बात कह रहे हैं। दो – दो विधानसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार बने संगमा अपनी रैलियों और सभाओं में विकास को मुद्दा बना रहे हैं। इसके साथ ही लोकलुभावन घोषणाओं के जरिए सभी पार्टियां यहां के जनमत को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही हैं। वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में 21 विधायक लेकर विधानसभा पहुंची कांग्रेस के विधायक या तो पाला बदल चुके हैं या उन्हें निलंबित कर दिया गया है। कांग्रेस को इस बात का भरोसा है कि मतदाता अभी भी उसके साथ हैं।
बहरहाल, बहुदलीय व्यवस्था के असली रंग मेघालय के चुनाव में इस बार भी दिख रहे हैं और चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा इसके लिए दो मार्च को होने वाली मतगणना का इंतजार करना होगा।
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