– विषमता के विषाक्त माहौल में साधना के क्षेत्र में आगे बढऩा असंभव है
कोलकाता•Sep 18, 2018 / 02:21 pm•
Vanita Jharkhandi
समभाव की नींव पर ही धर्म साधना की मंजिल : मुनि कमलेश
कोलकाता . धर्म उपासना करते-करते भी यदि हमारे अंदर में धर्म के नाम पर विषमता और परस्पर राग और द्वेष के भाव निर्मित होते हैं तो धर्म भी अधर्म में परिवर्तित हो जाएगा उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश ने तपस्वी घनश्याम मुनिजी म.स 40 तपस्या के पारणा उत्सव पर धर्म-सभा को संबोधित करते कहा कि विषमता के विषाक्त माहौल में साधना के क्षेत्र में आगे बढऩा असंभव है। समभाव की नींव पर ही धर्म साधना की मंजिल खड़ी की जा सकती है। मुनि कमलेश ने कहा कि जहां पर सम भाव की धारा खंडित हो जाती है वहीं पर अधर्म और पाप शुरू हो जाता है। विषमता से कुंठा पैदा होती है। जिससे ग्रंथियां पैदा होती है। जिससे विकास का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। मुनि कमलेश ने कहा कि समत्व योग की साधना से ही आत्मा और परमात्मा का साक्षात्कार किया जा सकता है। विश्व के सभी धर्मों ने समत्व योग को साधना का राज मार्ग बताया है। विषमता के जहरीले भाव आते नफरत की आग में त्याग, तपस्या, साधना सब जलकर खाक हो जाती है। विषमता की गांठ कैंसर की गांठ से भी खतरनाक है। गच्छाधिपति आचार्य प्रवर राजशेखर सूरी शवर ने कहा कि धर्म त्याग सिखाता है। विषमता की आग पूरे विश्व को स्वाहा कर सकती है। जितने भी धर्म के महापुरुष हुए हैं उन सभी ने एक स्वर में विषमता को जहर से भी खतरनाक बताया। जहर तो एक जन्म में मारता है, परंतु विषमता आत्मा को जन्म-जन्म में मारती है। मोक्ष का कट्टर शत्रु है और धर्म का दुश्मन है। दिल्ली उदयपुर मंदसौर रतलाम लखनऊ कोटा सवाई माधोपुर सहित देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं ने पालना महोत्सव में भाग लिया। आचार्य प्रवर ने पालना करवाया। कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया। श्रावक संघ की ओर से आचार्यश्री का अभिनंदन किया गया। महिला मंडल ने तपस्या की गीतिका प्रस्तुत की।