उन्होंने भारत के संविधान की रक्षा की शपथ ली है और इसे हर हाल में पूरा करेंगे। 24 घंटे वे पश्चिम बंगाल के लोगों की सेवा करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। समारोह के दौरान अनेक प्रवासी राजस्थानी संस्थानों की ओर से राज्यपाल का माल्यार्पण और दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया। विशिष्ट अतिथि उद्योगपति-समाजसेवी बेणुगोपाल बांगड़ ने समारोह की अध्यक्षता की। मंचासीन अतिथियों में बतौर विशिष्ट अतिथि अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सर्राफ, अखिल भारतीय क्षत्रिय समाज के मुख्य संरक्षक जयप्रकाश सिंह थे।
स्वागत भाषण देते हुए राजस्थानी साहित्यकार बंशीधर शर्मा ने अपनी काव्य पुस्तक राज्यपाल को भेंट की। सम्मान स्वरूप राज्यपाल को अभिनंदन-पत्र प्रदान किया गया। शर्मा ने राज्यपाल धनखड़ को धाकड़ कहकर संबोधित किया। अतिथि अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सर्राफ ने कहा कि धोरां री धरती के लाल हैं राज्यपाल धनखड़। उन्होंने राज्यपाल से राजस्थानी भाषा को संविधान की ८वीं अनुसूची में शामिल कराने पर जोर देने का आग्रह भी किया। सर्राफ ने कहा कि पहली बार बंगाल का राज्यपाल कोई राजस्थानी बना है और ऐसा लगता है कि ईश्वर ने हमारे पूर्वजों की धरती से उन्हें हमारे अभिभावक बनाकर बंगाल भेजा है।
जिन संस्थानों ने राज्यपाल का सम्मान किया उनमें लाडनूं नागरिक परिषद, सुजानगढ़ नागरिक परिषद. सीकर नागरिक परिषद, ऑल इंडिया मारवाड़ी फेडरेशन, बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, रामगढ़ नागरिक परिषद, नागौर नागरिक संघ, बंगाल मैत्री संघ, राजस्थान ब्राह्मण संघ प. बंगाल, परिवार मिलन, पारीक सभा, वनबंधु परिषद, सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय, नागरिक स्वास्थ्य संघ, पूर्वांचल कल्याण आश्रम, हावड़ा शाखा पश्चिम बंगाल प्रदेशिक मारवाड़ी सम्मेलन आदि मुख्य थे। संचालन महावीर प्रसाद बजाज और परिषद के महामंत्री अरूण प्रकाश मल्लावत ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्मान करने वालों में चूरू नागरिक संघ के एडवोकेट नारायण जैन, डॉ. तारा दुगड़, हावड़ा शाखा पश्चिम बंगाल प्रदेशिक मारवाड़ी सम्मेलन, के महासचिव किशन किला, सभापति शंभू मोदी, सचिव संदीप चौधरी, अनिल टिबड़ेवाल, श्याम अग्रवाल, कुसुम मोदी आदि मौजूद थे।