दरअसल विपक्ष के वॉकआउट के बाद बजट पास कराने के लिए कम से कम तिहाई पार्षदों की मौजूदगी जरूरी थी। लेकिन अल्पमत वाली निकाय सरकार के खुद के पार्षद अनुपस्थित थे। हालांकि कांग्रेस के पास सिर्फ 14 पार्षद ही हैं। यही कारण है कि सदन में अल्पमत में होने के कारण महापौर चाह कर भी अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पास नही करा पाए।
बजट पास नहीं हो पाने की दशा में अब महापौर इस बजट को सीधे राज्य सरकार को भेजेंगे। इसके बाद वहां से ही तय हो पाएगा की इस बजट पर आगे क्या होना है। या उनकी कितनी मांगों को पूरा किया जाता है या इसके हिसाब से राशि उपलब्ध कराई जाती है।
सदन की शुरूआत जम्मू कश्मीर के पुलवामा के आतंकी हमला में शहीद हुए जवानों को श्रृद्धांजलि देने के साथ की गई। सदन में पार्षदों ने दो मिनट का मौन धारण करने के बाद भारत माता की जय और जय श्री राम के नारे लगाए। इसके बाद सदन की कार्रवाई शुरू की गई।
नगर निगम के दायित्व मुलभूत सुविधाओं पर ही होता है। शहर को एलइडी लाइट से लैस किया। हजारों मीटर नालियां बनाई। सब्जी मार्केट तैयार किया गया। अमृत योजना के तहत 70 प्रतिशत काम पूरा हो गया। संपत्तिकर आधा और बीपीएल परिवारों को मुफ्त में पानी देने का प्रस्ताव लाया। भाजपा शासन में बढ़ाए हुए टैक्स को कम करने विपक्ष नहीं देना चाहती। एक प्रकार से वे नहीं चाहते की शहरवासियों और उसमें भी गरीब लोगों को फायदा हो। गरीबों के साथ सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही है।
जतीन जायसवाल, महापौर
शेषनारायण तिवारी, सभापति
संजय पांडे, नेता प्रतिपक्ष