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कोरबा

पीएचई के अफसरों ने ये कहा, फिर 19 लाख की लागत वाली योजना को बढ़ाकर किया 37 लाख, बावजूद नहीं मिल सका पानी, पढि़ए खबर…

– उच्चाधिकारियों ने भी बिना जांच-पड़ताल के कार्य की स्वीकृति भी दे दी

कोरबाJan 20, 2019 / 11:15 am

Shiv Singh

पीएचई के अफसरों ने ये कहा, फिर 19 लाख की लागत वाली योजना को बढ़ाकर किया 37 लाख, बावजूद नहीं मिल सका पानी, पढि़ए खबर...

पीएचई के अफसरों ने ये कहा, फिर 19 लाख की लागत वाली योजना को बढ़ाकर किया 37 लाख, बावजूद नहीं मिल सका पानी, पढि़ए खबर…

कोरबा. सरकार का पैसा पानी में कैसे बहाना है ये कोई पीएचई से सीखे। जेल के भीतर ओवरहेड टंकी बननी थी। पीएचई के अफसरों ने कहा यहां स्त्रोत नहीं है। दो किमी दूर बोर कर पाइपलाइन बिछाकर पानी लाना होगा। यह बहाना बताकर लागत को १९ से ३७ लाख में कर दिया, लेकिन जहां बोर किया वहां भी पानी नहीं निकला। बोर करने से पहले पाइपलाइन से लेकर टंकी भी बना दी। बाद में जब दूसरे बोर से टंकी को टेस्ट किया गया तो वह भी घटिया निकली। जगह-जगह से सीपेज होने लगा है।
सरकार ने १३वें वित्त मद से प्रदेश के १८ जेल में ओवरहेड टंकियों की स्वीकृति दी थी। कटघोरा उपजेल में भी १९ लाख रूपए की स्वीकृति मिली। पीएचई के तात्कालिक कार्यपालन अभियंता एसके चन्द्रा और कटघोरा एसडीओ सीके पवार जेल पहुंचे। मौका मुआयना करने के बाद इन दोनों ही अधिकारियों ने कहा कि जेल परिसर में पानी का स्त्रोत नहीं है। अगर यहां बोर करवा दिया जाता है तो असफल रहेगा। इस तर्क के आधार पर पीएचई ने लागत को बढ़ाकर ३७ लाख कर दिया। विभाग ने दो किलोमीटर दूर नवांगांव में बोर किया। बोर कर पाइपलाइन बिछाई गई।
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जेल कॉलोनी में टंकी बनी। जब पानी चालू किया गया तो पता चला कि वह बोर ही सूखा निकला। पीएचई ने फिर जेल के पास दो बोर कराया। इस दो बोर से टंकी को भरने की कोशिश की गई तो टंकी ही घटिया निकल गई। टंकी से पानी टपकने लगा। इधर जहां पाइपलाइन बिछाई गई थी वह भी कई जगह से टूट गई। कुल मिलाकर पूरी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।

जेल प्रबंधन ने हैंडओवर लेने से कर दिया मना
इधर पीएचई इस घटिया काम को हैंडओवर कराने के लिए कई बार प्रयास कर चुका है। जब जेल प्रबंधन ने हैंडओवर लेने के लिए शर्त रखी कि सात दिन इस योजना से पानी आपूर्ति की जाएं उसके बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी। लेकिन जब पीएचई ने पानी की आपूर्ति की कोशिश की तो इसमें सफल ही नहीं हो सके। लिहाजा जेल प्रबंधन ने इसे हैंडओवर लेने से मना कर दिया।

जिस जेल में स्त्रोत ना होने की बात कही वहां पहले से दो बोर सफल
कटघोरा उपजेल के भीतर पीएचई ने स्त्रोत ना होने की बात कही वहां पहले से ही दो बोर चल रहे हैं। वर्तमान में इन्हीं बोर से बंदियों ं को पानी की आपूर्ति होती है। लेकिन पीएचई के अधिकारियों ने सिर्फ लागत बढ़ा कर भ्रष्टाचार करने के लिए पूरी योजना के स्वरूप को बदल दिया। वहीं उच्चाधिकारियों ने भी बिना जांच-पड़ताल के कार्य की स्वीकृति भी दे दी।

चार बार पत्र लिखा, पीएचई ने जवाब तक नहीं दिया
इस भ्रष्ट काम के लिए जेल प्रबंधन ने अब तक चार बार पीएचई को पत्र लिखकर काम को ठीक करने की बात कह चुका है, लेकिन विभाग ने एक बार भी जवाब देना मुनासिब नहीं समझा है। यहां तक छह माह पूर्व दौरे पर पहुंचे कलेक्टर को भी जेल प्रबंधन ने इस समस्या से अवगत कराया था। इसके बाद भी अफसर भूल गए।

– १९ से लागत बढ़ाकर ३७ लाख ३९ हजार किया गया। डेढ़ साल पहले काम हो चुका है, लेकिन अब तक एक बूंद पानी नहीं मिल सका है। इसके लिए कई बार पत्राचार किया जा चुका है। उसके बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। गर्मी मेंं काफी परेशानी होती है। मुकेश कुशवाहा, सहायक जेलर, कटघोरा उपजेल
-बोर का परीक्षण करने के लिए मुंगेली से मशीन बुलाई गई है। टंकी मेंं मामूली सीपेज है। इसे सुधारने के लिए ठेकेदार को निर्देश दिया गया है। पानी की आपूर्ति कराई जा रही है। सीके पवार, एसडीओर, कटघोरा पीएचई

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