
CG Health: कोरबा में हीट वेव चल रहा है। इसकी वजह से लोग रक्तदान करने से बच रहे हैं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ब्लड बैंक में 50 यूनिट ही ब्लड शेष है। जबकि रोजाना लगभग 25 से 30 यूनिट ब्लड की खपत हो रही है। इससे जरूरतमंद मरीज व उनके परिजनों की परेशानी बढ़ गई है।
एक ही सरकारी ब्लड बैंक है। यह मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संचालित है। इस बैंक की क्षमता 300 यूनिट ब्लड स्टोरेज की है। लेकिन बैंक में पर्याप्त मात्रा में ब्लड नहीं है। इसकी वजह से सिकलिंग, थैलेसीमिया सहित अन्य मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। जिन्हें हर 15 दिन से लेकर एक माह के भीतर शरीर में ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इन मरीजों को समय पर खून नहीं मिलने पर तबीयत और गंभीर हो जाती है।
बैंक में ब्लड की कमी की सबसे बड़ी वजह मौसम को बताया जा रहा है। जिले में हीट वेव का खतरा बना हुआ है। पखवाडे़ भर से तापमान लगातार 41 डिग्री या इससे अधिक दर्ज की जा रही है। इसकी वजह से ना तो कैंप लग पा रहे हैं और जहां कैंप लग रहे हैं वहां रक्तदाता रक्तदान को लेकर रूचि कम दिखा रहे हैं। इसकी वजह से जरूरतमंद मरीजों को ब्लड के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की मदद लेनी पड़ रही है।
इसमें भी मरीज व उनके परिजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है या फिर उन्हें निजी ब्लड बैंक का सहारा लेना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही में रोजाना लगभग 20 से 25 गर्भवती महिलाओं का प्रसव किया जा रहा है। इसमें से ज्यादातर महिलाओं को प्रसव के दौरान खून की जरूरत पड़ती है। अस्पताल से सिकलिंग, थैलेसीमिया, गर्भवती महिलाओं को नि:शुक्ल ब्लड उपलब्ध कराया जाता है।
रक्तदान महादान है। चिकिस्तकों की माने तो एक यूनिट ब्लड से तीन लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। इसके लिए प्रशासन की ओर लोगों को जागरूकता किया जाता है। लेकिन लोगाें में जागरूकता की अब भी कमी बनी हुई है। ब्लड बैंक की ओर से लगाए गए शिविर में भी एक बार में लगभग 50 से 60 यूनिट ही ब्लड एकत्र हो पाता है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ब्लड बैंक हर माह लगभग 750 से 800 यूनिट ब्लड की खपत होती है। इसमें से सबसे अधिक सिकलिंग, थैलेसीमिया, गर्भवती महिला व दुर्घटनाग्रस्त लोगों को जरूरत पड़ती है। लेकिन अस्पताल में इतनी ब्लड की उपलब्धता ही नहीं है। जबकि अस्पताल में लगभग 400 से 450 यूनिट ही ब्लड उपलब्ध हो पाता है।
बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक एनजीओ के भरोसे निर्भर है। किसी जरूरत मंद मरीजों को आपातकालीन स्थिति में जरूरत पड़ने पर है। संस्था के माध्यम से डोनर उपलब्ध कराया जाता है। इसके बाद एक्सचेंज में उपलब्ध कराया जाता है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सरकारी ब्लड बैंक है। यहां जरूरतमंद मरीजों को नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन ब्लड के लिए एक डोनर की जरूरत होती है। हालांकि यह बाध्यता आपातकालीन स्थिति में समाप्त कर दी जाती है। इसकी प्रोसेसिंग चार्ज आयुष्मान कार्ड से राशिल वसूल कर ली जाती है। लेकिन निजी ब्लड बैंक प्रोजेसिंग चार्ज के लिए डोडन के साथ 1400 रुपए देने होते हैं।
नोडल अधिकारी डॉ जीएस जात्रा का कहना है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ब्लड बैंक में क्षमता के अनुरूप ब्लड कम की है। वर्तमान में हीट वेव की वजह से डोनर भी कम आ रहे हैं। हालांकि इसके लिए समय-समय पर शिविर लगाए जाते हैं।
Updated on:
10 Jun 2024 07:31 am
Published on:
09 Jun 2024 03:54 pm
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