scriptहर साल 10 करोड़ खर्च, फिर भी अपना शहर इतना गंदा क्यों, रैंकिंग पिछडऩे के बाद भी अधिकारी-ठेकेदारों का ऐसा है हाल | Spend 10 crores every year, yet why city is so dirty | Patrika News
कोरबा

हर साल 10 करोड़ खर्च, फिर भी अपना शहर इतना गंदा क्यों, रैंकिंग पिछडऩे के बाद भी अधिकारी-ठेकेदारों का ऐसा है हाल

सफाई के नाम पर नगर निगम (Municipal Corporation) द्वारा हर साल 20 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं, इसके बाद भी शहर में हर तरफ कचरा ही कचरा है। ठेकेदार समय पर कचरा नहीं उठा रहे हैं।

कोरबाJul 11, 2019 / 12:07 pm

Vasudev Yadav

हर साल 10 करोड़ खर्च, फिर भी अपना शहर इतना गंदा क्यों, रैंकिंग पिछडऩे के बाद भी अधिकारी-ठेकेदारों का ऐसा है हाल

हर साल 10 करोड़ खर्च, फिर भी अपना शहर इतना गंदा क्यों, रैंकिंग पिछडऩे के बाद भी अधिकारी-ठेकेदारों का ऐसा है हाल

कोरबा. स्वच्छता सर्वेक्षण (Cleanliness survey) में कोरबा शहर नंबर वन कैसे आएगा। रैंकिंग पिछडऩे के बाद भी अधिकारियों ने सबक नहीं लिया। कहीं नालियां जाम पड़ी है। तो कहीं कचरा दो दिन बाद उठाया जा रहा है। पॉश इलाकों के साथ-साथ गली मोहल्लों का भी एक जैसा हाल है। इसके पीछे वजह एक ही है पुराने ढर्रे में सफाई व्यवस्था (Cleaning system) का चलना। सफाई इंस्पेक्टर अपने क्षेत्रों में सक्रिय नहीं है। ना तो उनके मोबाइल नंबर वार्डों में लगे हैं। जिससे लोग उन तक शिकायत कर सके। कुल मिलाकर व्यवस्था ध्वस्त होने की कगार पर है।

डोर टू डोर शुरू होते ही ठेकेदारों की मनमर्जी बढ़ी
डोर टू डोर कचरा कचरा कलेक्शन शुरू होते ही ठेकेदारों की मनमर्जी बढ़ गई है। दरअसल उनका 70 फीसदी काम अभी महिलाएं कर रही है। ठेकेदारों को सिर्फ सड़क पर झाडू़ लगाना और नालियों की सफाई करना रह गया है। लेकिन ये काम भी सही तरीके से नहीं हो रहा है। किसी वार्ड में सुबह 3 लेबर लग रहे हैं तो कहीं 5, मोहल्लों के हिसाब से श्रमिक काम पर नहीं लग रहे हैं।

यह भी पढ़ें
लिव इन रिलेशन में रह रहे कपल को माँ ने देखा इस हाल में तो चीख पड़ी, लोगों से मांगी मदद फिर…

वार्डवासियों की शिकायत रहती है कि सड़कों पर झाडू़ लगे महीनों बीत गए। अब बारिश सीजन में ठेकेदार नालियों की सफाई जरूरी बोलकर श्रमिक उनमें लगाना बता रहे हैं। लेकिन हकीकत ये है कि शहर में 70 फीसदी नालियां कवर हो चुकी है। ऐसे में नाली सफाई भी समय पर होना मुश्किल नजर आ रहा है।

उपक्रम वाले वार्डों में और भी बदतर स्थिति
निगम क्षेत्र में आने वाले उपक्रम वाले वार्डों की स्थिति और भी बद्तर है। १२ वार्डों में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। सबसे अधिक बदहाल स्थिति सीएसईबी और एसईसीएल के कॉलोनियों की है। सीएसईबी के पूर्व कॉलोनी में जगह-जगह कचरे का ढेर लगा हुआ है। डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम ठंडा पड़ा है। इस वजह से मच्छर बढ़ गए हैं। पश्विम कॉलोनी में भी यही स्थिति है। उसके बाद भी इन उपक्रमों को नोटिस तक नहीं जारी किया जा रहा है।

यहां लगे कचरे के ढेर
एसबीआई मेन ब्रांच रोड पर पडऩे वाले चौक पर इस तरह कचरे का ढेर अकसर लगा होता है। कचरा नहीं उठाया जा रहा। आरएसएस नगर के कृष्णानगर मोहल्ले में पिछली बार आयुक्त ने ठेकेदार पर जुर्माना ठोंका था। अब फिर से वही स्थिति हो गई है। निहारिका टॉकिज के पीछे जाने वाली गली में भी कचरा डंप होने के बाद उठाव नहीं हो रहा है। आसपास के दुकानवाले यहीं कचरा फेंक रहे हैं।

सिंचाई कॉलोनी रामपुर में कार्यालय से बालाजी मंदिर जाने वाले मार्ग में कचरा कई दिनों से डंप है। ठेकेदार सप्ताह में दो दिन ही कर्मी भेज रहे। इंण्डस्ट्रीयल एरिया खरमोरा में मुख्य रोड पर कचरा डंप है। हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के आसपास भी सफाई करने ठेकेदार नहीं पहुंच रहे हैं। मुड़ापार बाजार दशहरा मैदान में भी गंदगी का ढेर लगा हुआ है। बाजार के बाद गंदगी वहीं छोड़ दी जा रही है। इसे समय पर नहीं उठाया जा रहा।

ठेका पुराना, वर्कआर्डर नया होनेे के बाद स्थिति सुधरेगी
अब भी पुराने ठेके के तहत ही सफाई व्यवस्था शहर में चल रही है। इसलिए ठेकेदारों द्वारा मनमर्जी की जा रही है। चुनाव की वजह से मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। नए वर्कआर्डर के लिए टेंडर खुलने की प्रक्रिया पूरी होने में एक महीने का समय लगेगा। उसके बाद व्यवस्था पटरी पर लौटेगी।

यह भी पढ़ें
World Population Day : हर साल जन्म व मृत्यु के आंकड़ों में हो रहा बदलाव, क्या कहते हैं आंकड़ें, पढि़ए खबर…

-हर वार्ड में सतत तौर पर निगरानी की जा रही है। कई जगह ठेकेदारों पर जुर्माना भी लगाया गया है। नए वर्कआर्डर जल्द किए जाएंगे। इसकी तैयारी चल रही है। तब तक व्यवस्था को सुचारू रूप से किया जा रहा है।
वीके सारस्वत, स्वास्थ्य अधिकारी, निगम कोरबा
– ठेकेदारों को सड़कों पर झाडू लगाना व नाली की सफाई करनी है लेकिन वह भी नहीं किया जा रहा है। सिर्फ डोर टू डोर कचरा कलेक्शन तक ही व्यवस्था सीमित कर दी गई है- हित्तानंद अग्रवाल, पार्षद, वार्ड 36
-नालियां पूरी तरह से कवर कर दी गई है। जाम को खाली कराना है तो ठेकेदार हाथ खड़ा कर देते हैं। ऐसे में सफाई नहीं होती है- दिनेश वैष्णव, पार्षद वार्ड एमपीनगर

Home / Korba / हर साल 10 करोड़ खर्च, फिर भी अपना शहर इतना गंदा क्यों, रैंकिंग पिछडऩे के बाद भी अधिकारी-ठेकेदारों का ऐसा है हाल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो