* मेंटनेंस के अभाव में गैरज व सड़कों पर खड़ी है (sanjivani 108) संजीवनी एक्सप्रेस
* कॉल करने के बाद इंतजार ही करते रह जाते हैं लोग, नहीं पहुँचती एम्बुलेंस (care ambulance)
जीवनदायिनी संजीवनी 108 ही बीमार, भारी पड़ सकता है एम्बुलेंस का इंतज़ार
कोरिया । भाजपा सरकार (BJP) के शासनकाल में आपातकालीन स्थिति में मरीजों को चिकित्सालय तक पहुंचाने के लिये महत्वकांक्षी जीवनदायनी संजीवनी एक्सप्रेस (ambulance) शुरू की गई थी। जो अब मेंटेनेंस न होने के कारण खुद ही बीमार पड़ी हुई है इस कारण जिले के कई स्थानों पर अब फोन पर भी पहुंच पाने में असर्मथ है।
फ़ोन के बाद इंतजार करने पर पता चलता है कि संजीवनी एक्सप्रेस (sanjivani express) खराब पड़ी है। वहीं इस वाहन को चलाने वाले भी अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हाल ही में जिले में चलते-चलते वाहन से पहिया अलग हो गया, बदनामी व उच्च अधिकारियों के दबाववश किसी ने शिकायत नहीं की, चालक की सूझबूझ से घटना टल गई, फिर भी इन कंडम वाहनों (ambulance) के सुधार की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
इस कारण मरीज अब आपातकाल स्थिति में भी इन वाहनों को देखकर भी मजबूरीवश हॉस्पिटल (hospital) तक आने को विवश हैं, वही जिले में पदस्थ उच्च अधिकारी इन वाहनों के रख-रखाव पर हर माह ध्यान देने की बात कह रहे हैं, जो (ambulance meaning) विचारणीय है।
यह खबर नहीं पढ़ा तो हो सकता है भरी नुकसान : चोरों का गिरोह सक्रिय, अगर घर छोड़कर जाते है बाहर तो रखे इन बातों का विशेष ध्यान गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य में 25 जनवरी 2011 को भाजपा सरकार ने 108 आपातकालीन एम्बुलेंस (ambulance) की शुरूआत की गई थी जिसे संजीवनी एक्सप्रेस का नाम दिया गया। पहली बार 172 वाहनें छत्तीसगढ़े (Chhattisgarh) में आई और जिले के अनुसार इसे भेज दिया गया। कोरिया जिले में आज की स्थिति में108 संजीवनी एक्सप्रेंस की संख्या 08 है, वहीं 102 महतारी एक्सप्रेस संख्या 12 है।
उपस्थित वाहनों में अधिकांश वाहनें कंडम होकर गैरजों में खड़ी हैं और कुछ वाहन (ambulance) तो खराब होकर रास्ते में पड़ी हैं, सही समय पर मेंटनेंस नहीं होने की वजह से 8 से 9 साल में ही वाहन कबाड़ हो गये हैं। यही वजह है कि जहां-तहां वाहन खराब होकर पड़े हैं। लोग यह सोचकर फोन लगाते हैं कि समय पर संजीवनी एक्सप्रेस (sanjivani express ambulance) व महतारी एक्सप्रेस (mahatari express ambulance) आएगी पर घण्टों इंतजार करने के बाद भी नहीं पहुंचती, जिससे मरीजों की हालत खराब हो जाती है और विवशता से मरीजों को अन्य साधनों से अस्पताल तक लाया जाता है।
डीएमएफ से भी मिली एंबुलेंस का नहीं होता उपयोग एक साल पहले जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों सहित अन्य स्थानों पर ले जाने हेतु डीएमएफ की राशि से लगभग 60 लाख की लागत से 6 एम्बुलेंस वाहन मंगाये गये थे ताकि दूरस्थ अंचलों तक भी एम्बुलेंस की सुविधा विषम स्थिति में भी पहुंचाई जा सके और मरीजों को समय पर चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सके। लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। नए वाहनों का उपयोग मरीजों के लिए न कर अन्य कार्यों में हो रहा है।
सिर्फ कागजों पर ही हो रहा है मेंटनेंस एंबुलेंस की मेटनेंस का कार्य सिर्फ कागजों पर ही होता है। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि जिले के सारे आपातकालीन संजीवनी एक्सप्रेस व महतारी एक्सप्रेस की स्थिति दयनीय है। यह वाहन कहीं भी खराब होकर पड़े रहते हैं, वहीं अधिकारी बताते है कि वाहनों का मेंटनेंस अच्छे से हो रहा है और बदले में मेंटनेंस के नाम पर अच्छी रकम भी ली जा रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।
चालक भी नहीं हैं सुरक्षित नाम न छापने की शर्त पर एक चालक ने बताया कि सारी वाहनों (ambulance) की स्थिति खराब है, जहां जाओ, वहीं खराब हो जा रही है। मरीजों के फोन (phone call) पर कई बार निकलते हैं पर रास्ते में ही वाहन खराब हो जाने के कारण वहां तक पहुंच भी नहीं पाते। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि मरीज के साथ ही वाहन खराब हो गई, फिर दूसरे वाहन से मरीजों को अस्पताल (hopspital) पहुंचाया गया। चलती गाड़ी में कई बार पहिया भी निकल गया जिससे दुर्घटना (Accident) होते बाल-बाल बचे। वाहन को आपातकालीन (emergency) स्थिति में तेज चलाने में डर लगता है कहीं कुछ हो न जाये।
बैकुंठपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामेश्वर शर्मा का कहना है – इसकी जानकारी मैंने उच्च अधिकारियों को दे दी है, यह समस्या जिले में बनी हुई है। शासन ने वाहनों को बदलकर नए वाहन देने की बात कही है।