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कोटा

Changed trend of Corona: अब फेफड़ों में पहुंचने लगा कोराना संक्रमण

कोरोना अब धीरे-धीरे अपना ट्रेंड बदल रहा है। अब यह मरीजों के सीधे फेफड़ों में पहुंच रहा है। जिन लोगों में रोग प्रतिरोध क्षमता कम है, उनके फेफड़ों में संक्रमण पहुंचने लग गया है। कोटा मेडिकल के नवीन चिकित्सालय में भर्ती मरीजों में जांच में यह बात सामने आई है। ऐसे में उन मरीजों को अस्पताल में भर्ती की जरूरत पड़ गई है।

कोटाJan 23, 2022 / 02:08 pm

Abhishek Gupta

Changed trend of Corona: अब फेफड़ों में पहुंचने लगा कोराना संक्रमण

Changed trend of Corona: अब फेफड़ों में पहुंचने लगा कोराना संक्रमण

कोटा. कोरोना अब धीरे-धीरे अपना ट्रेंड बदल रहा है। अब यह मरीजों के सीधे फेफड़ों में पहुंच रहा है। जिन लोगों में रोग प्रतिरोध क्षमता कम है, उनके फेफड़ों में संक्रमण पहुंचने लग गया है। कोटा मेडिकल के नवीन चिकित्सालय में भर्ती मरीजों में जांच में यह बात सामने आई है। ऐसे में उन मरीजों को अस्पताल में भर्ती की जरूरत पड़ गई है।
कोटा मेडिकल कॉलेज के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद जांगिड़ बताते है कि अस्पताल में कोविड वार्ड में कुल 23 मरीज भर्ती है। इनमें से तीन मरीज ऐसे है, जिनको कोरोना की वजह से दोनों फेफड़ों में संक्रमण पहुंचा है। ऐसे में इन मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है।
रेडियोलॉजिस्ट विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. संगीता सक्सेना ने बताया कि चार में से एक मरीज के लंग्स में इफैक्ट आया है। कोटा के 50 साल की उम्र के इस मरीज में कोरोना की वजह से लंग्स पूरी तरह से प्रभावित हुए है। पहली व दूसरी लहर की अपेक्षा इस बार कोविड मरीजों में सिटी स्कैन व एक्सरे की जरूरत कम पड़ी ही है। अस्पताल में इन दिनों 3 से 4 कोविड मरीजों को सिटी स्कैन व एक्सरे की जरूरत पड़ रही है।
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हर आयु वर्ग आ रहा चपेट में

मेडिसिन विभाग के यूनिट हेड डॉ. पंकज जैन बताते है कि पहली व दूसरी लहर की अपेक्षा इस बार संक्रमण ने ट्रेंड बदला है। इस बार कोई भी आयु वर्ग संक्रमण की चपेट में आने से बचा नहीं है। इसमें बच्चे भी संक्रमित हो रहे है। जबकि पिछली दो बार की लहर मेबच्चों में संक्रमण दर काफी कमी थी। इसे हल्के में ना लें। बिहेव्यर अपनाए। मास्क जरूर लगाए।
इस बार ऐसे अलग दिख रहे कोरोना लक्षण

इस बार खांसी, सास में तकलीफ, स्वाद व गंध का जाना उतना कॉमन नहीं है।

बुखार बदन दर्द, सिर दर्द, मांसपेशियों की जकडऩ के साथ मरीज आ रहे है।
मरीज का रिकवरी समय काफी कम है। लक्षण आधारित उपचार से 4-5 दिनों में मरीज स्वस्थ हो रहा है। कुछ ऐसे भी मरीज सामने आए है, जो पूर्व लहरों में संक्रमित हो चुके है। वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके है। ऐसे मरीज भी अन्य मरीजों की तरह मामूली लक्षणों से पीडि़त है।
उपचार के बाद 4-5 दिन में स्वस्थ हो रहे है। ऐसा उनके शरीर में इम्युनिटी के स्तर के कम होने या वायरस के वेरिएंट के चलते संभव है।

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बदले ट्रेंड के कारण
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादातर आबादी किसी ना किसी तरह से कोरोना वायरस के प्रति इम्युनिटी हासिल कर चुकी है, चाहे वो वैक्सीने, चाहे पूर्व संक्रमण से या किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आकर संक्रमित हुए है। इनमें वायरस के चलते संक्रमण तो हो रहा है, लेकिन शरीर में मौजूद इम्युनिटी के चलते घातकता कम है और हर मामले में एक नया ट्रेंड देखने में आ रहा है। नए वेरिएंट की मारक क्षमता दुर्बल होना भी इसका एक कारण हो सकता है।
चुनौतियां

संक्रमण के इस बदले ट्रेंड के चलते आमजन इस लहर को हल्के में ले रहा है।

कोविड उपयुक्त व्यवहार नहीं अपना रहा है, जो संक्र मण फैलने का एक बहुत बड़ा कारण सामने आ रहा है।
उपचार लक्षण आधारित ही है। ऐसे में सेल्फ मेडिकेशन का चलन बढ़ा है। बिना चिकित्सकीय सलाह के दवाइयों का सेवन घातक साबित हो सकता है।

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