मुकन्दरा टाइगर रिजर्व से दस किलोमीटर की परिधि को पूर्व में ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया हुआ था। ऐसे में लाइम स्टोन की ऐसी खदानें जिनकी पर्यावरण स्वीकृति समाप्त हो चुकी थी, उन्हें दुबारा से पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त करने के लिए नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड में आवेदन करना पड़ता था। सेंसेटिव जोन में आने से वाइल्ड लाइफ की तरफ से एनओसी नहीं मिलने के कारण लाइम स्टोन की खदानों को पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने से खदानें बंद करने की स्थिति निर्मित हो गई थी। पर्यावरण स्वीकृति के अभाव में चेचट क्षेत्र की छह लाइम स्टोन खदानें, पीपाखेड़ी की चार लाइम स्टोन खदानों केअलावा क्षेत्र की जालिमपुरा सहित कुछ खदानों मे उत्पादन कार्य ठप हो गया था। खदानों में उत्पादन प्रक्रिया ठप होने से इसमें कार्यरत श्रमिकों को रोजगार के लिए दूरदराज की खदानों मे रोजगार के लिए भटकना पड़ता था। उत्पादन प्रक्रिया कम होने से खदानों से निकलने वाले लाइम स्टोन के रफ माल मे ंतेजी आने से फेक्ट्रियों मे प्रोसेसिंग कार्य करने वाले व्यवसायियों की परेशानी बढ़ी हुई थी। पर्यावरण स्वीकृत्ति नही मिलने से खदान मालिकों कीपरेशानी बढ़ी हुई थी। पर्यावरण स्वीकृत्ति के अभाव मे क्षेत्र की सबसे बड़ीपत्थर कंपनी एसोसिएयेट स्टोन इण्डस्ट्रीज लंबे समय तक बंद रही थी।