कोटा से गए विद्यार्थियों के कमेंट आ रहे हैं। उनकी वापस आने की इच्छा है। उन्हें लॉकडाउन खुलने का इंतजार है। मेडिकल-इंजीनियरिंग की परीक्षाओं में जो ऑफलाइन से परिणाम आए हैं। वे ऑनलाइन से नहीं मिल सकते। हमें कोविड प्रूफ व्यवस्थाएं करनी होंगी। हम तैयार हैं। सरकार को भी राजस्व मिलता है। इसलिए वो भी इस सेक्टर के बारे में कुछ करे।
गोविंद माहेश्वरी,
निदेशक, एलन कॅरियर संस्थान
पहले भी बड़े परिवर्तन आए हैं, कोटा कोचिंग की खासियत है चुनौतियों के अनुसार खुद को तैयार कर लेते हैं। कोटा का नाम पूरे देश में है। कोचिंग में कोटा का कोई विकल्प नहीं है। लॉकडाउन में विद्यार्थियों की पढ़ाई में ऑनलाइन मदद की जा रही है। कोटा में उन्हें घर जैसा प्यार मिला है, इसलिए हालत सामान्य होते ही बच्चे फिर लौट आएंगे।
ओम माहेश्वरी
निदेशक, कॅरियर पॉइंट
कोविड के दौरान कोटा में रह रहे बच्चों की जिस तरह से देखभाल हुई है, उसका उदाहरण पूरे देश में दिया जा रहा है। बच्चों के साथ अभिभावकों के मन में भी कोटा की सकारात्मक छवि है। काफी बच्चों के अभिभावकों ने कोटा में रहकर देखा है। सरकार अनुमति दे और अभिभावकों का विश्वास इसी तरह कायम रहे तो हालात बदलेंगे। हम सुरक्षा के साथ आगे बढऩे के लिए तैयार हैं।
आरके वर्मा, निदेशक, रेजोनेंस
आरके वर्मा, निदेशक, रेजोनेंस
ऑनलाइन में भी कोटा ने अच्छा काम किया है। कोटा में कई राज्यों के विद्यार्थी नहीं आ पाते, लेकिन ऑनालाइन से दूरस्थ राज्यों के बच्चे भी जुड़े हैं। पूरे देश में पता चल रहा है कि कोटा में पढ़ाने की शैली विशिष्ट है। श्रेष्ठ परिणाम के भरोसे फिर से दिन लौटेंगे। कोटा को तेजी से ग्रीन जोन बनाने की जरूरत है। जब ये ग्रीन जोन होगा, तबविद्यार्थी यहां आएंगे।
आशीष वाजपेयी, निदेशक, सर्वोत्तम कॅरियर इंस्ट्टीयूट
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वायरस से लड़ना व रहना-जीना सीख लें यहां विद्यार्थियों से केवल कोचिंग ही नहीं मैस, हॉस्टल, स्ट्रीट वेंडर भी जुड़े हैं। ऑनलाइन जाते हैं तो कोचिंग संस्थानों को लाभ होगा, लेकिन दूसरा वर्ग प्रभावित होगा। कोटा की अर्थव्यवस्था कोचिंग से ही चलती है। ऑफलाइन में शिक्षक और छात्र का जो रिश्ता बनता है, उससे पढ़ाई बेहतर होती है। जल्द ही कोटा फिर तैयार होगा।
मयंक जोशी,
न्यूक्लियस, एजुकेशन
कोटा में कोरोना रिकवरी रेट की बात करें तो तेजी से रोगी स्वस्थ हो रहे हैं। कोटा ग्रीन जोन की तरफ बढ़ रहा है। आने वाले समय में मेडिकल के प्रति विद्यार्थियों का रुझान बढ़ेगा। कोटा कोचिंग के जो वीडियो लेक्चर जा रहे हैं, उससे प्रमोशन हो रहा है। कुछ देरी हो सकती है, लेकिन जब वापस लौटेंगे तो पुराने रेकॉर्ड टूटेंगे।
अखिलेश दीक्षित,
निदेशक, आकाश इंस्टीट्यूट
Read more : कोटा की याद आती है, लॉकडाउन खुलते ही फिर आएंगे…
अब कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी पड़ेगी। ऑफलाइन पढ़ाई बेहतरी के लिए अनिवार्य है। इसमें जो संवाद होता है, पढ़ाने का तरीका होता है, उसका कोई विकल्प नहीं है। सबसे अच्छी बात है कोटा प्रशासन और कोटा कोङ्क्षचग ने बच्चों की भरपूर मदद की है। ट्रेन-बस चलाई। कोई कमी नहीं छोड़ी। इससे पूरे देश में सकारात्मक संदेश गया है।
प्रतीक अग्रवाल, सेन्ट्रल एकेडमी, दादाबाड़ी
अब कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी पड़ेगी। ऑफलाइन पढ़ाई बेहतरी के लिए अनिवार्य है। इसमें जो संवाद होता है, पढ़ाने का तरीका होता है, उसका कोई विकल्प नहीं है। सबसे अच्छी बात है कोटा प्रशासन और कोटा कोङ्क्षचग ने बच्चों की भरपूर मदद की है। ट्रेन-बस चलाई। कोई कमी नहीं छोड़ी। इससे पूरे देश में सकारात्मक संदेश गया है।
प्रतीक अग्रवाल, सेन्ट्रल एकेडमी, दादाबाड़ी
कोरोना वायरस के कहर के बाद भी कोटा कोचिंग की पहचान यथावत है, क्योंकि कोटा ब्रांड है, यहां की पढ़ाई का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इसलिए जल्द हालात पहले जैसे होंगे। इस संघर्ष से भी बहुत कुछ सीखा है और यह भी कोटा को आगे बढ़ाने में काम आएगा। माहौल को स्टूडेंट फ्रेंडली और कोविड प्रूफ बनाने की दिशा में सामूहिक प्रयास करने होंगे।
डॉ. अजय शर्मा, चैयरमेन,
सेंट जोसेफ स्कूल ऑफ ग्रुप