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पूजा में भी महत्व सीताफल का महत्व इतना ही नही इस फल को पूजा में भी रखा जाता है इस वर्ष भी दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में बाजारों में जमकर सीताफल की बिक्री हुई है| वही बिहार के छठ पूजा व्रत में इस फल को महत्वपूर्ण माना जाता है |
कोटा के कर्मचारियों के आगे राजस्थान सरकार ने क्यों टेक दिए घुटने…पढि़ए खास खबर झालावाड जिले के भीमसागर कस्बे से जुड़े मऊ बोरदा मऊ के महलों में स्थित राडी में इस बार भी सीताफल के पेड़ो पर खूब सीताफल लदे है| झालावाड निवासी ठेकेदार अबरार खान ने बताया की इस बार पुरातत्व विभाग ने 12 हजार की राशि जमा कर पूरी राडी के सीताफलों का ठेका लिया है| वही इस बार बारिश कम होने से फलाव में पकाने में दिक्कत आ रही है जबकि इस बार फल भी अच्छा है परन्तु पकाने में दिक्कत हो रही है फल में भुर दौड़ने के बाद ही पकाना पढ़ता है| भीमसागर का सीताफल झालावाड, बारां, कोटा, समेत दर्जनों बड़े शहरों में पेकिंग होकर बिकने के लिए भेजा जाता है| इस बार बाजार में सीताफल का भाव 60 रूपये से 80 रूपये किलों बेचा जा रहा है |
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10 बीघा में फैला हुआ सम्पूर्ण मऊ महलों में करीब 10 बीघा भूमि पर सीताफल के पौधे लगे है जिसमे करीब दो हजार से अधिक पौधे लगे हुए है एवं सभी पर भरपूर मात्रा में फल लदा हुआ है| परन्तु मऊ महल के परकोटा नही होने से आधे से ज्यादा फल तो घुमने आने वाले पर्यटक एवं ग्रामीण तोड़ ले जाते है जिसे ठेकेदार को नुकसान होता है वही जानवरों को चराने वाले ग्रामीण भी पौधों को नुकसान पहुचाते है जिसे की आधे से ज्यादा पौधे दिनोंदिन खत्म होते जा रहे है | ग्राम पंचायत मऊ बोरदा, पूर्व सरपंच देवीशंकर नागर का कहना है कि सीताफल इस क्षेत्र का प्रसिद फल है ग्रामीण इस को खाने के साथ-साथ पौधों को नुकसान पहुचाते है यह गलत है पुरात्व विभाग को इनकी हिफाजत के लिए चारदीवारी करवाना चाहिए|