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अदालत ने यह आदेश गुलाबबाड़ी लाडपुरा निवासी गायत्री बाई की ओर से पेश प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर दिए। गायत्री बाई ने वर्ष 2017 में महापौर, आयुक्त व राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग की संयुक्त निदेशक के खलिाफ याचिका पेश की थी।
इसमें कहा था कि उसकी मां किशनी बाई निगम में स्थायी सफाई कर्मचारी के पद पर काम करती थी। उनकी मौत सेवाकाल के दौरान 28 अक्टूबर 1997 को हो गई थी। उनके पिता लड्डू की मौत 9 मार्च 1988 को और भाई पप्पूलाल की मौत 13 अप्रेल 2008 को हो चुकी है।
Read more: कोटा को कचरा व पॉलीथिन मुक्त बनाने की मुहिम शुरू वह अपनी मां की एकमात्र वारिस है। उसकी मां की नौकरी के दौरान उनके वेतन से निगम द्वारा पीएफ और बीमा की कटौती की गई। इसे प्राप्त करने की वह एकमात्र अधिकारी है, लेकिन निगम उसे यह राशि नहीं दे रहा।
इस संबंध में जारी नोटिस पर निगम महापौर व आयुक्त की ओर से दिए जवाब में कहा कि प्रार्थिया ने अपनी मां, पिता व भाई के मौत संबंधी कोई दस्तावेज पेश नहीं किए हैं। उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र भी पत्रावली पर नहीं होने से प्रार्थना पत्र खारिज करने योग्य है, जबकि प्रावधायी निधि विभाग की ओर से जवाब में कहा कि उनके यहां सरकारी कर्मचारी की कटौती की जाती है।
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निगम स्वायत्तशासी संस्था होने से उनकी कटौती यहां जमा नहीं होने से प्रार्थना पत्र उनके खिलाफ खारिज किया जाए। सभी पक्षों को सुनने के बाद स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष कैलाशचंद मीना, सदस्य अजय पारीक व डॉ. अरुण शर्मा ने निगम को आदेश दिया कि किशनी बाई की सेवाकाल के दौरान की गई कटौती राशि 42633 रुपए निगम में जमा है।
गायत्री बाई उनकी एकमात्र वारिस होने से निगम यह राशि गायत्री बाई को अदा करे। साथ ही, गायत्री बाई को आदेश दिया कि वह इस आशय का शपथ पत्र निगम में दे कि वह अपनी मां की एकमात्र वारिस है। यदि कोई उस राशि के लिए दावेदारी करता है तो वह उक्त राशि तुरंत निगम में जमा करवा देगी।