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कोटा

गर्भवती के साथ कोटा से पैदल दमोह का मुश्किलों भरा सफर

नहीं थम रहीं प्रवासियों की मुसीबतें

कोटाMay 28, 2020 / 12:03 am

mukesh gour

गर्भवती के साथ कोटा से पैदल दमोह का मुश्किलों भरा सफर

गर्भवती के साथ कोटा से पैदल दमोह का मुश्किलों भरा सफर

बारां. सरकार व प्रशासन के दावोंं के बावजूद प्रवासी मजदूरों का पैदल मीलों लम्बा सफर करने का सिलसिला जारी है। मंगलवार रात करीब 11 बजे शहर के कोटा रोड गुरुद्वारा के रात्रिकालीन भ्रमण कर रहे लोगों ने उनके हाथों में सामानों की गठरी, गोद में बच्चे, साइकिल पर गर्भवती पत्नी, माथे पर चिन्ता की लकीरें और थके हुए मजदूर परिवार को देखा तो सिहर उठे।
लोगों ने उन्हें रोककर तसल्ली से बात करते हुए उन्हें सुरक्षित स्थान पर रात में आसरा दिलाने का भरोसा दिलाया। बाद में पुलिस की मदद से इस परिवार को बस स्टैंड पर छोड़ा गया। इस परिवार ने नन्हें बच्चों के साथ बस स्टैंड के प्लेटफार्म पर बिछौना लगाकर रात बिताई। मजदूरों के इस परिवार को दमोह जाना है। जबकि दो अन्य मजदूर युवकों को बीना जाना है। रात तो इनकी बस स्टैंड पर कट गई, लेकिन बुधवार सुबह फिर सफर शुरू हो गया।
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खाने के लाले पड़े तो चल दिए

शहर के गुरुद्वारा क्षेत्र में संजय शर्मा, मोहिनी पारेता, वंदना पारेता, पूर्व पार्षद सीमा शर्मा, गुड्डी गौतम व निर्मला लोधा आदि ने बताया कि वे रात्रिकालीन भ्रमण कर बतियाते हुए घरों को लौट रहे थे। इसी दौरान प्रवासी मजदूर कोटा से पैदल आते हुए दिखे। रोककर पूछताछ की तो युवक सज्जन कुमार ने बताया कि उन्हें दमोह जाना है। वह व उसका भाई चन्दन कोटा में मजदूरी करते थे। लॉकडाउन के चलते वहीं रूके रहे। फिर बसों के चलने का इंतजार करते रहे, लेकिन खाने के लिए परेशानी होने लगी तो भाई चन्दन, पत्नी चाहना, भाभी रूपा व तीनों बच्चों के साथ साइकिल लेकर मंगलवार सुबह कोटा से रवाना हो गए।
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एक साथ छूटा…
मजदूर युवक अजय व सोनू ने बताया कि वह पत्थर क्रेशर पर इन्द्रगढ़ में मजदूरी करते थे। उन्हें बीना के पास बंडोरा जाना है। छह लोग तीन दिन पहले साथ ही पैदल रवाना हुए थे। सुस्ताने रुके तो चार साथी आगे निकल गए। बाद में दमोह के सज्जन कुमार के परिवार का साथ मिल गया। सूचना पर पहुंची पुलिस की चेतक मोबाइल टीम के ड्यूटी अधिकारी हैड कांस्टेबल हरलाल ने बस स्टैंड पर पहुंचाया। एसडीएम शत्रुघन गुर्जर ने बताया कि बुधवार सुबह सूचना मिलने पर तहसीलदार अब्दुल हफीज मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने यहां से छबड़ा तक के लिए रवाना कर दिया था तथा आगे के सफर के लिए छबड़ा के नायब तहसीलदार को अवगत कराया गया।

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