भले ही पुलिस व आबकारी विभाग शहर में अब हुक्का पार्लर संचालन नहीं होने का दावा कर रहे हों, लेकिन अभी भी शहर में कई ऐसे स्थान हैं जहां हुक्का पार्लर व इसकी आड़ में बार संचालन किया जा रहा है। फिर भी पुलिस व आबकारी विभाग इनपर कार्रवाई नहीं कर रहा। ऐसे में अवैध बार व हक्का पार्लर संचालक बैखौफ इन्हें चला रहे हैं।
हुक्का बार संचालक अनजान व्यक्ति या नए ग्राहक को हुक्का बार में प्रवेश नहीं देते। वे सोश्यल मीडिया व युवाओं के जरिए इसका प्रचार-प्रसार करते हैं। सोशल नेटवर्किंग के जरिए ही नाबालिगों को बार की जानकारी पहुंचाई जाती है। हुक्का बार में आने वाले नाबालिग या युवक अपने साथ अन्य छात्रों को लाते हैं।
राज्य सरकार ने विश्व तम्बाकू दिवस के अवसर पर 31 मई को राज्य में ई-सिगरेट के उत्पादन, भंडारण, वितरणउपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध की घोषणा कर कुछ दिनों बाद ही इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। धूम्रपान की लत छुड़वाने के लिए ई-सिगरेट को विकल्प के रूप में प्रचारित कर युवाओं को भ्रमित किया जा रहा है। युवा पीढ़ी में इसके बढ़ते उपयोग को देखते हुए चिकित्सा विभाग द्वारा विशेष कमेटी बनाई। कमेटी ने रिपोर्ट में ई-सिगरेट को स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक बताया।
ई-सिगरेट या वाष्पीकृत सिगरेट एक बैटरी चालित उपकरण है। जो निकोटीन या गैर-निकोटीन के वाष्पीकृत होने वाले घोल की सांस के साथ सेवन की जाने वाली खुराक प्रदान करता है। यह सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे धूम्रपान वाले तंबाकू उत्पादों का एक विकल्प है। आईसीएमआर ने ई सिगरेट समेत सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। आईसीएमआर का कहना है कि इनके इस्तेमाल से धूम्रपान नहीं करने वाले व्यक्तियों को भी निकोटीन की लत लग सकती है। ई सिगरेटए हीट नॉट बर्न डिवाइस, वेप, ई शीशा, ई निकोटीन वाला हुक्का व अन्य ईएनडीएस के तहत आते हैं। जिनका इस्तेमाल धूम्रपान के लिए किया जाता है।
करेंगे सख्त कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर में संचालित सभी हुक्का बार पर कार्रवाई की जाएगी। हुक्का बार चलाना व ई-सिगरेट पिलाना गैर कानूनी है। सरकार ने इसके लिए कड़े कानून बनाए हैं। सिगरेट की नशे की आदत छुड़ाने के लिए ई-सिगरेट या हुक्का विकल्प नहीं है। ये स्वास्थ्य के लिए खासे नुकसानदायक है।
भूपेन्द्र सिंह तंवर,
सीएमएचओ, कोटा
दीपक भार्गव,
पुलिस अधीक्षक, कोटा शहर।