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कोटा

इंद्रदेव 48 साल पुराना रिकॉर्ड तोडऩे पर आमादा

इस बार मेहरबान रहा मानसून : आगामी दिनों में रबी फसलों के लिए किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सकेगा

कोटाSep 22, 2019 / 07:40 pm

mukesh gour

Indradev intent on breaking 48 year old record

Indradev intent on breaking 48 year old record

कोटा. लगता है इंद्रदेव इस बार कोटा में बारिश का 48 साल पुराना रिकॉर्ड तोडऩे पर आमादा हैं। दरअसल, कोटा में बारिश का औसत आंकड़ा 746 मिमी है। लेकिन इस बार इसने 1498 मिमी के अंक को छू लिया है। इससे पहले सन 1971 में बारिश ने 1500 मिमी का आंकड़ा छूआ था। इससे लगता है कि एक-दो दिन में यह रिकॉर्ड भी टूट ही जाएगा। इस बार हाड़ौती में 162.26 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई। क्षेत्र के छोटे-बड़े 145 (गांधीसागर बांध सहित) बांधों की कुल भराव क्षमता 11436 मिलियन घनमीटर है। इस बार ये सभी लबालब हो गए हैं। सभी बांधों पर चादर चल रही है। आगामी दिनों में रबी फसलों के लिए किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सकेगा।
देर से आया, झूमकर आया
हाड़ौती में इस बार 15 दिन विलम्ब से मानसून ने दस्तक दी, लेकिन बंगाल की खाड़ी व अरब सागर के एक साथ चक्रवात बनने से राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से के हाड़ौती में जुलाई, अगस्त व सितम्बर में जमकर बारिश हुई। इससे औसत बारिश 3208 एमएम के मुकाबले 5205.33 एमएम बारिश दर्ज की गई।
यहां हुई अधिकतम वर्षा
हाड़ौती में अधिकतम वर्षा तीन दिन हुई। इनमें 15 अगस्त को दीगोद में 187, चांदा का तालाब में 278 व 16 अगस्त को छबड़ा में 256 एमएम बारिश दर्ज की गई, जबकि 14 सितम्बर को गागरीन में 268 एमएम बारिश दर्ज हुई।
ये है जिलेवार बारिश के आंकड़े
जिला- औसत बारिश- अब तक बारिश
कोटा- 746- 1498
बूंदी- 720- 1107
बारां- 792-1022
झालावाड़- 950- 1578.33

बांधों से हो चुकी निकासी
चम्बल के सबसे बड़े बांध गांधीसागर, राणाप्रताप, जवाहरसागर व कोटा बैराज अपनी कुल भराव क्षमता 10408.2 मिलियन घनमीटर प्राप्त कर चुके हैं। इन बांधों से अतिरिक्त पानी की निकासी जारी है। बांधों की 17 सितम्बर तक की रिपोर्ट देखें तो 9624 मीटर घनमीटर (भराव क्षमता का 92 प्रतिशत) पानी की निकासी हो चुकी है। कालीसिंध नदी पर निर्मित कालीसिंध बांध से 5057 मिलियन घनमीटर अतिरिक्त पानी की निकासी की जा चुकी है, जो बांध की कुल भराव क्षमता 54.37 मीटर घनमीटर का 39 गुना है।

फसलें हो गई तबाह
हाड़ौती में औसत से अधिक बारिश होने से सोयाबीन, उड़द, धान, मक्का, ज्वार समेत अन्य फसलें तबाह हो गई। इससे किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ, लेकिन बारिश के चलते कोई जलसंरचना खाली नहीं होने से आगामी रबी सीजन के लिए किसानों को पर्याप्त पानी मिल सकेगा।

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