पार्षद बृजेश शर्मा, नरेन्द्र हाड़ा, रमेश आहूजा ने आरोप लगाया कि टार्गेट करके यह कार्रवाई की गई है। गेट तोडऩे से पहले महापौर को भी नहीं बताया। पार्षद धु्रव राठौर ने सरकार का आदेश भी सदन में दिखाया और कहा कि कार्रवाई के बारे में महापौर को दी जानी थी।
सरकार से शिकायत
स्टे के बावजूद गेट तोडऩे के मामले में विधायकों ने भी कड़ी नाराजगी जताई थी। विधायक भवानीसिंह राजावत ने तो इस मामले में आयुक्त की शिकायत सरकार से की है। उन्होंने आयुक्त को फोन पर गेट तोडऩे पर नाराजगी भी जताई थी।
बोर्ड बैठक में वार्ड 7 की पार्षद शकुंतला बैरवा ने वार्ड में विकास कार्यों में भेदभाव का आरोप लगाते हुए महापौर को इस्तीफा सौंप दिया। पार्षद ने कहा कि भाजपा की पार्षद हूं, लेकिन बहुत दुखी हूं। मेरी कोई सुनवाई नहीं हो रही। मेरे वार्ड में नगर विकास न्यास से 46 लाख के काम स्वीकृत हुए, लेकिन विधायक के इशारे पर दूसरे वार्ड में ये काम करवाए जा रहे। वह एक बार तो और बैठक छोड़कर चली गई, बाद में पार्षद मीनाक्षी खण्डेवाल समझाकर वापस लेकर आईं।
आरोप गलत
अग्निमशन अधिकारी राकेश व्यास का कहना है कि होटल के किराएदारों को खाली करने के लिए मैंने कोई दबाव नहीं बनाया। आरोप गलत हैं।
स्टे की कॉपी देना साबित कर दें, इस्तीफा दे दूंगा
मल्टीस्टोरी का गेट का काम बंद करवा दिया था, मल्टीस्टोरी के सामने से निकलता हूूं तो गेट का काम चालू दिखता था। बिल्डर को 11 बार चैम्बर में बुलाकर बात की। हर बार स्वयं गेट को हटाने की बात कहकर जाते थे। काम बंद नहीं करने पर मैंने गेट तुड़वाया है। इस कार्रवाई के बाद मुझ पर प्रेशर आ रहा है। मुझे तनाव हो गया है। गेट क्या तोड़ दिया जैसे आफत आ गई है। स्टे की कापी नहीं दी गई। यदि कार्रवाई से पहले स्टे की कापी देने की बात साबित कर दें तो मैं रिजाइन दे दूंगा।
डॉ. विक्रम जिन्दल, निगम आयुक्त (जैसा बोर्ड बैठक में कहा)