मंडी परिसर में चहुंओर अव्यवस्थाओं के अम्बार लगे हुए हैं। नीलामी स्थलों पर बने टीनशेडों में व्यापारियों की उपज भरी बोरियों की थप्पियां लगी हुई हैं। ऐसे में किसानों को खुले आसमां के नीचे उपज के ढेर करने पड़ते हैं। मौसम परिवर्तन होने पर या बारिश के दौरान किसानों को उपज खराब होने का डर सताता है। वहीं पेयजल के भी पुख्ता बंदोबस्त नहीं है। नीलामी स्थलों पर बनी प्याऊ की टोंटियां टूटी हुई हैं। कई नलों में पानी भी नहीं आता है।
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आने लगी नई उपज, मंडी प्रशासन ने नहीं की तैयारियां
हाड़ौती में इस साल 10.80 लाख हैक्टेयर में विभिन्न कृषि जिंसों की बुवाई हुई है। इनमें से 4.44 लाख हैक्टेयर में गेहूं, 1.57 लाख हैक्टेयर में चना, 1.72 लाख हैक्टेयर में सरसों, 1.25 लाख हैक्टेयर में धनिया, 1.14 लाख हैक्टेयर में लहसुन तथा 1.01 लाख हैक्टेयर में मैथी की बुवाई हुई।
पिछले एक पखवाड़े से मंडी में रोजाना 400-500 बोरी सरसों की आवक हो रही है। वहीं 15 दिन बाद धनिया, मैथी, अलसी की आवक शुरू हो जाएगी। मार्च के अंतिम सप्ताह में लहसुन, गेहूं की आवक होने लगेगी। अभी तक मंडी प्रशासन ने आवक को देखते हुए खरीद व्यवस्था की तैयारियां शुरू नहीं की हैं।
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भामाशाह मंडी सचिव डॉ. आरपी कुमावत का कहना है कि किसानों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। रबी सीजन की तैयारियां अभी से ही शुरू कर दी। टीनशेडों के नीचे रखी बोरियां हटाई जा रही हैं। साफ-सफाई का ध्यान रख रहे हैं। टीनशेडों की पुताई चल रही है।