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कोटा

Nhan Festival in Sangod : फिर से जीवित होगी राजसी संस्कृति, इस दिन से शुरू होगा सांगोद में न्हाण लोकोत्सव

पंच-पटेलों ने सोरसन स्थित मां ब्रह्माणी मंदिर में की पूजा-अर्चना

कोटाMar 01, 2022 / 06:39 pm

dhirendra tanwar

Nhan Festival in Sangod : फिर से जीवित होगी राजसी संस्कृति, इस दिन से शुरू होगा सांगोद में न्हाण लोकोत्सव

Nhan Festival in Sangod : फिर से जीवित होगी राजसी संस्कृति, इस दिन से शुरू होगा सांगोद में न्हाण लोकोत्सव

Nhan Festival in Sangod : सांगोद. यूं तो होली देशभर में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है, लेकिन सांगोद का न्हाण लोकोत्सव इन सबमें अलग है। पांच दिनों तक चलने वाले न्हाण लोकोत्सव में रंग गुलाल नहीं होता फिर भी लोग होली की मस्ती में सरोबार रहते हंै। करीब पांच सौ साल पुरानी रियासतकालीन लोक संस्कृति की यह परम्परा आज भी यहां अनवरत जारी है।
गत वर्ष कोरोना गाइडलाइन के चलते न्हाण आयोजन सिर्फ औपचारिक रहा। आयोजन तो हुए, लेकिन न्हाण का रंग लोगों पर नहीं चढ़ पाया। इस बार गाइडलाइन में पाबंदियां हटने के बाद न्हाण लोकोत्सव को लेकर हर तरफ उत्साह नजर आ रहा है। परंपरानुसार मंगलवार को न्हाण लोकोत्सव से जुड़े पंच-पटेल सोरसन स्थित मां ब्रह्माणी मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की। इस दौरान शिवकांत शर्मा, मुकेश शुक्ला, धनराज शर्मा, हरीश चतुर्वेदी, गिरिराज शर्मा, मनोट नाटाणी, चतुर्भुज सेन, नारायण शुक्ला, बृजबिहारी गौड़ आदि ने पूजा-अर्चना की। इसी के साथ ही यहां लोकोत्सव से जुड़ी तैयारियां शुरू हो जाएगी। इस बार न्हाण लोकोत्सव का आगाज 19 मार्च को घूघरी की रस्म के साथ होगा, जो 24 मार्च को खाड़े के बादशाह की सवारी के साथ संपन्न होगा।
यह है लोकोत्सव…

लोकोत्सव के दौरान कस्बा दो पक्षों में बंट जाता है। एक पक्ष न्हाण अखाड़ा चौधरी पाड़ा तो दूसरा न्हाण खाड़ा अखाड़ा चौबे पाड़ा बन जाता है। लोकोत्सव के पहले दो दिन चौधरी पाड़ा व अंतिम दो दिन न्हाण खाड़ा पक्ष के आयोजन होते हैं। पहले दिन बारह भाले एवं दूसरे दिन बादशाह की सवारी निकलती है। सवारी में लोग स्वांगों के जरिए चुटीलेपूर्ण अंदाज में लोगों का मनोरंजन करते हैं। दोनों पक्षों की ओर से निकाली जाने वाली बादशाह की सवारी अश्वों पर सवार अमीर उमरावों के साथ आज भी पूरे शान और शौकत से निकलती है तो लगता है जैसे बरसों पुरानी राजसी संस्कृति जीवित हो उठी है।
बिखर रही लोकोत्सव की छटा..

लोकोत्सव के बारे में कहा जाता है कि कोटा रियासत के जमाने से सांगोद में न्हाण का आयोजन होता आ रहा है। लोक संस्कृति का यह अनूठा आयोजन आज भी उसी शान और शौकत से हेाता है। इसकी खासियत यह है कि इसका न तो कोई प्रचार-प्रसार होता है और न हीं कोई आयोजन समिति। फिर भी लाखों लोकोत्सव का हिस्सा बनते है। इस दौरान पुलिस एवं प्रशासन की भूमिका भी सिर्फ शांति व्यवस्था तक सीमित रहती है।

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