उल्लेखनीय है कि कई साल पहले बंधा धर्मपुरा क्षेत्र में नए जेल परिसर के लिए 30 हैक्टेयर भूमि प्रस्तावित की गई थी, लेकिन यहां दंबगों ने निर्माण नहीं होने दिया। दबंगों के अतिक्रमण के चलते पूरी जमीन नहीं मिल पाई। अब नई जगह जमीन की तलाश की जा रही है। अतिक्रमियों से विवाद की आशंका के चलते प्रशासन यहां निर्माण करने से पीछे हट गया। न्यास ने दो बार अतिक्रमण हटा भी दिया और जेल प्रशासन को जमीन पर कब्जा दे दिया, लेकिन इसके बाद भी जेल प्रशासन और सार्वजनिक निर्माण विभाग ने यहां जेल के निर्माण में रुचि नहीं ली।
पिछली सरकार में राजनीतिक संरक्षण होने के कारण फिर अतिक्रमियों ने बाड़े बना लिए। जेल प्रशासन का कहना है कि मौके पर पर्याप्त जमीन नहीं थी, इसलिए वहां निर्माण नहीं हो पाया। राज्य सरकार ने वर्ष 2012-13 में कोटा में महिला और पुरुष कैदियों के लिए एक-एक हजार की क्षमता की दो जेल बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था, इसके लिए 52 करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत किया था।
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प्रस्तावित जेल भवन के लिए जो जमीन दी गई उससे अतिक्रमण हटवाकर कब्जा दे दिया गया था, लेकिन जेल प्रशासन ने यहां निर्माण करने से मना कर दिया। अभी उस जगह पर कोई पक्का अतिक्रमण नहीं है।
-रामकल्याण यादवेन्द्र, तहसीलदार, नगर विकास न्यास —
जेल प्रशासन की ओर से अब नई जगह जमीन की मांग की है। जमीन की तलाश की जा रही है। पहले वाली जगह पर पशुपालकों के लिए योजना विकसित की जाएगी।
-भवानी सिंह पालावत, सचिव, नगर विकास न्यास —
बंधा धर्मपुरा क्षेत्र में जहां जेल के लिए पूर्व में जमीन प्रस्तावित थी, वहां जमीन की उपलब्धता जरूरत के हिसाब से कम थी, इसलिए वहां जेल परिसर नहीं बन पाया।
-सुमन मालीवाल, जेल अधीक्षक