कोटा जीआरपी ने मेवाड़ एक्सप्रेस से दबोचा स्मैक तस्कर, 60 लाख की स्मैक बरामद
इस यूनिट का यह है काम मोबाइल सर्जिकल यूनिट में हर्निया, कोर्निया, पाइलस, महिला के बच्चेदानी समेत अन्य सर्जिकल मरीजों को चिहिन्त कर उनका स्थानीय स्तर पर स्कूल या सामुदायिक केन्द्र पर शिविर लगाकर उपचार कर ऑपरेशन करना होता है। इसके बाद दवाइयां नि:शुल्क दी जाती है। इसके लिए सीएमएचओ समेत आठ वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम नियुक्त है।
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एनजीओ नहीं आ रहा आगेइसमें खास बात सामने आई है कि यूनिट को गांवों में शिविर लगाने के लिए एनजीओ नहीं मिल पा रहा है। एनजीओ का काम शिविर में आने वाले मरीजों के लिए खान-पान की व्यवस्था करना होता है। एनजीओ नहीं आने के कारण यूनिट भी काम नहीं कर रही है। बारां जिले के शाहबाद जैसे आदिवासी जगहों पर यूनिट हर साल बड़ी संख्या में मरीजों के सर्जरी के ऑपरेशन करती है, लेकिन वहां भी एनजीओ नहीं मिलने के कारण शिविर नहीं लग पाया है।