आखिरकार, इसे दुधवा हाथी शिविर में लाया गया और वन अधिकारियों ने कहा कि हाथी जनवरी में प्रशिक्षण पूरा होने के बाद दुधवा टाइगर रिजर्व में वन गश्त दल का हिस्सा होगा। जय का फिलहाल इलाज चल रहा है, और उसकी देखभाल की जा रही है। 25 साल के हाथी की सेहत में सुधार हो रहा है और अब उसे ‘दुष्ट’ नहीं कहा जाता है। जय पहले भी अक्सर चित्रकूट में घरों और संपत्तियों को तबाह कर भगदड़ मचा चुका है।
शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ ने 2002 में जय को मेले से खरीदा था। जुलाई 2007 में उत्तर प्रदेश एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में ददुआ के मारे जाने के बाद उसका बेटा वीर हाथी की देखभाल करने लगा। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “ददुआ ने यह हाथी खरीदा था, लेकिन वह कभी उसकी पीठ पर नहीं बैठा। हालांकि, वह इसकी अच्छी तरह से देखभाल करता था। ददुआ की मृत्यु के बाद, हमने हमेशा जय को जंजीरों से बंधा हुआ देखा।”