scriptपिता पालक है…पोषक और रक्षक भी, आकाश से उच्च दर्जा दिया गया है | वेद शास्त्रों में सबसे उच्च स्थान दिया गया है पिता को | Patrika News
Lifestyle News

पिता पालक है…पोषक और रक्षक भी, आकाश से उच्च दर्जा दिया गया है

पिता को प्रजापति ब्रह्मा की प्रतिमूर्त माना गया है। आकाश से उच्च दर्जा दिया गया है। पिता संतान के कल्याण के लिए वह सभी उपक्रम करता है, जो वैदिक, पौराणिक और सांसारिक होते हैं। वह पालक, पोषक और रक्षक है। वेद शास्त्रों में सबसे उच्च स्थान दिया गया है पिता को। वह जनक है, जीवन है और संबल भी।

जयपुरJun 10, 2024 / 09:56 am

sangita chaturvedi

father kid

father kid

पिता को प्रजापति ब्रह्मा की प्रतिमूर्त माना गया है। आकाश से उच्च दर्जा दिया गया है। पिता संतान के कल्याण के लिए वह सभी उपक्रम करता है, जो वैदिक, पौराणिक और सांसारिक होते हैं। वह पालक, पोषक और रक्षक है। वेद शास्त्रों में सबसे उच्च स्थान दिया गया है पिता को। वह जनक है, जीवन है और संबल भी। जो व्यक्ति जीवात्मा या प्राणी को संसार में लाने का प्रयास करता है और उसके पालन-पोषण में अपना सर्वस्व लगा देता है, उससे बड़ा कोई और नहीं हो सकता।

प्राकृतिक शक्ति पिता के अंदर


अपनी संतान के बुद्धि-कौशल और लेखन आदि का ज्ञान पिता को होता है। एक प्राकृतिक शक्ति पिता के अंदर होती है संतान को समझने के लिए। वह अपनी संतान की क्षमताओं को समझ लेता है। इस शक्ति का उपयोग करते हुए पिता संतान की क्षमता का अनुगणना करता है और समझ लेता है कि इसकी बौद्धिक, शारीरिक और वैचारिक शक्ति किस क्षेत्र में प्रबलता से इसको आगे बढ़ा सकती है। वह संतान को उसकी क्षमताओं को समझने के लिए प्रेरित करता है।

कुछ समय का काला बादल है फिर…


एक पिता ही प्रथम मित्र, प्रथम मार्गदर्शक बनकर अपनी संतान को यह समझाता है कि उसकी क्षमता, अनुभव, ज्ञान और भविष्य सुरक्षित है, कुछ समय का काला बादल है जो निकल जाएगा। इसके बाद चमकता सूरज उसे सफलता के रूप में देखना चाहता है। इस प्रकार से मार्गदर्शित करने वाला पिता ही होता है।

मित्र और गुरु की भूमिका का भी निर्वाह करता


जब संतान के रूप में पुत्र या पुत्री संसार में आती है, तो एक पिता अपनी प्रसन्नता को व्यक्त नहीं कर सकता। एक पिता अपनी संतान के श्रेष्ठ, दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, कल्याण और सुरक्षा के लिए जितने भी आयाम होते हैं, उन सभी को केंद्रगत रखता है। अपने पिता होने की भूमिका के साथ-साथ वह मित्र और गुरु की भूमिका का भी निर्वाह करता है। जिससे संतान सही और गलत का ज्ञान प्राप्त कर सके। जब पुत्र या पुत्री के रूप में संतान जन्म लेती है, तो पिता का स्वप्न उसके सर्वांगीण विकास पर केंद्रित रहता है। वह संतान के कल्याण के लिए सभी सपनों को बुनकर एक नया संसार खुद के परिवार से जोड़ता है और आगे आने वाले अन्य परिवारों को भी जोड़ता है। इन दोनों ही स्थिति में सृष्टि का एक सुंदर बगीचा, जिसमें हरे-भरे वृक्ष, फूल-पत्तियां और उनकी खुशबू जिस प्रकार बगीचे को संपन्न बनाती है, वैसे ही पिता अपने पुत्र अथवा पुत्री के आगे के जीवन की रूपरेखा बनाता है। यही नहीं जीवन और अध्यात्म, धर्म, दानशीलता, सहायता, दया का भाव आदि के निर्णय का विज्ञान पिता के माध्यम से ही प्राप्त होता है।
  • पं. मनीष त्रिवेदी, ज्योतिषाचार्य

Hindi News/ Lifestyle News / पिता पालक है…पोषक और रक्षक भी, आकाश से उच्च दर्जा दिया गया है

ट्रेंडिंग वीडियो