मेरी नहीं हो रही शादी
उदाहरण के तौर पर अक्सर एम्बुलेंस सेवा के कॉल सेंटर में जो फोन आते हैं उनमें कोई बोलता है- हैलो 108 एम्बुलेंस सेवा से बोल रहे हैं। मैं उन्नाव से राकेश बोल रहा हूं। मेरी शादी नहीं हो रही। कई बार विज्ञापन भी दे चुका हूं। वेबसाइट पर भी खोजबीन जारी है। अगर आप थोड़ी मदद कर दें तो मेरा भी घर बस जाएगा। जबकि कोई कहता है कि मेरे पति शराब के आदी हैं। डॉक्टरों को दिखाया। झाड़-फूंक कराई। वह शराब छोड़ नहीं रहे हैं। आप ही कोई दवा बताएं ताकि शराब की यह लत छूट जाए। तो कोई कहता है कि मुझे रातों में नींद नहीं आ रही। बताओ मैं क्या करूं। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि रात में तीन बजे मैं आपको फोन कर रहा हूं। जिसे सुनकर 108 कॉल सेंटर का कर्मचारी फोन पर जवाब देता है। देखिए यह एम्बुलेंस सेवा का कॉल सेंटर है। यहां सिर्फ एम्बुलेंस मिलती हैं। यहां शादी-ब्याह कराने की सुविधा नहीं दी जाती। आपने गलत नंबर डायल किया है। यह कहकर कर्मचारी फोन काट देते हैं।
बेवजह के फोन से मरीज परेशान हो रहे
वहीं जीवीकेईएमआरआई संस्था के राज्य प्रमुख धनंजय के मुताबिक इमरजेंसी में घर या सड़क से मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। रेफर की दशा में मरीज को एक सरकारी अस्पताल से दूसरे में भी शिफ्ट करने में एम्बुलेंस मदद कर रही है। उन्होंने बताया कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में फोन करने के 15 मिनट के भीतर एम्बुलेंस पहुंचाई जा रही है। लेकिन गैरजरूरी फोन कॉल ने हम लोगों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी बेवजह फोन कर रही हैं। कुछ लोगों ने इरमजेंसी सेवा का मजाक बना रखा है। बिना जरूरत फोन कर एम्बुलेंस बुला लेते हैं। समय पर एम्बुलेंस के पहुंचने में अड़चन आ रही है।
बेवजह न करें फोन
वहीं इन फोन कॉल्स पर लखनऊ के सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि इमरजेंसी सेवाओं पर बेवजह फोन न करें। गैरजरूरी फोन कॉल से जरूरतमंद इमरजेंसी सेवा से महरूम हो सकते हैं। इससे मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है। आपको बता दें कि 108 की उत्तर प्रदेश में 2200 एम्बुलेंस हैं। लखनऊ में इनकी संख्या 44 है। कॉल सेंटर में एक वक्त पर 175 कर्मचारी फोन सुनते हैं। जबकि 102 की 2270 तथा लखनऊ में 34 एम्बुलेंस है। कॉल सेंटर में एक समय पर 275 कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। 250 एएलएस एम्बुलेंस का संचालन हो रहा है।