लखनऊ

AIMIM के चुनाव लड़ने पर यूपी की सियायत में बड़ा उलटफेर संभव

All India Majlis‑e‑Ittehadul Muslimeen (AIMIM) – छोटे दलों की बड़ी कहानी: Asaduddin Owaisi का एलान 100 सीटों पर उतारेंगे प्रत्याशी, यूपी की 130 सीटों पर मुस्लिम मत निर्णायक।

लखनऊJul 26, 2021 / 04:04 pm

lokesh verma

All India Majlis‑e‑Ittehadul Muslimeen (AIMIM)
फैक्ट फाइल

दल- एआइएमआइएम

स्थापना- 12 नवम्बर 1927

संस्थापक- नवाब महमूद नवाज़ खान

अध्यक्ष- असदुद्दीन ओवैसी

उद्देश्य- अल्पसंख्यक हितों की सुरक्षा

जनाधार- मुस्लिम वोट बैंक

प्रमुख नेता- असदुद्दीन ओवैसी, अकबरुद्दीन ओवैसी
लोकेश वर्मा/पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. UP Assembly Election 2022 Updates : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में मुस्लिम मतदाता किस दल की तरफ जाएगा यह अभी तय नहीं है। सपा-बसपा और कांग्रेस मुस्लिमों पर डोरे डाल रहे हैं। लेकिन, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआइएमआइएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की सक्रियता सियासत में बदलाव के संकेत दे रही है। भागीदारी संकल्प मोर्चा (Bhagidari Sankalp Morcha) के साथ एआइएमआइएम ने प्रदेश की 100 सीटों पर चुनाव लड़नेे का एलान किया है। 2017 के विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly election 2022) में पार्टी 38 सीटों पर लड़ी था, लेकिन एक भी सीट उसके खाते में नहीं आई। उसे पूरे यूपी से 2 लाख से ज्यादा वोट मिले थे।
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20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी

यूपी में 20 प्रतिशत मुस्लिम वोट हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश (West Uttar Pradesh) और पूर्वी यूपी समेत करीब 130 से 135 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोट बैंक (Muslim Vote Bank) निर्णायक भूमिका में है। इनमें वेस्ट यूपी के मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, रामपुर, मेरठ, बागपत, हापुड़ और गाजियाबाद तो वहीं पूर्वी यूपी के गाजीपुर, मऊ जौनपुर, गोरखपुर और लखनऊ के साथ अवध क्षेत्र शामिल हैं।
सभी जिलों में पार्टी संगठन

एआइएमआइएम ने यूपी के सभी 75 जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिए हैं। विधानसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक प्रत्याशियों से आवेदन भी मांगे गए हैं। एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली (Shaukat Ali) बताते हैं कि सभी आवेदकों 10 हजार रुपए का शुल्क लिया जाएगा। प्रत्याशियों के नामों का चयन खुद पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी करेंगे।
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एआइएमआइएम का इतिहास

एआइएमआइएम की स्थापना आजादी से पहले 1927 में नवाब महमूद नवाज़ खान ने की थी। हालांकि, उस समय पार्टी का नाम मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन एमआइएम था। तब पार्टी का उद्देश्य हैदराबाद को अलग मुस्लिम राज्य बनाना था। 1948 में हैदराबाद का भारत में विलय हो गया और भारत सरकार ने एमआइएम पर प्रतिबंध लगा दिया था। 1957 में पार्टी की बहाली के बाद पार्टी की कमान सैयद कासिम रिजवी के हाथ में थी। बहाली के बाद ऑल इंडिया शब्द जोड़ते हुए इसका नाम ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (All India Majlis‑e‑Ittehadul Muslimeen) हो गया। अधिवक्ता अब्दुल वहाद ओवैसी पार्टी के मुखिया बने। तब से पार्टी की बागडोर ओवैसी परिवार के पास ही है। अब्दुल वहाद के बाद सलाहुद्दीन पार्टी प्रमुख बने और उसके बाद से उनके पुत्र असदुद्दीन ओवैसी पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। वहीं, छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी आंध्र प्रदेश में सक्रिय हैं।
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