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सांसद बनते ही भड़के निरहुआ, कहा छोटे दिल के आदमी हैं अखिलेश, कुर्सी बचाने के लिए अपना रहे मुग़ल नीति

locationलखनऊPublished: Jul 03, 2022 02:15:45 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने अखिलेश यादव को मुग़लों की नीति से प्रभावित बताया है। उन्होने कहा की सपा प्रमुख गद्दी बचाने के लिए मुग़ल नीति अपना रहे हैं। यादव और मुसलमान वोट बैंक पर अपना एकाधिकार समझने वाली सपा का यह समीकरण दोनों वर्गों के सियासी रूप से जागरुक होने की वजह से अब बिखर चुका है।

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Dinesh Lal Yadav and Akhilesh Yadav

उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सपा अध्यक्ष की तुलना मुगल शासकों से की है। निरहुआ ने कहा कि अपनी कुर्सी बचाने के लिए सपा प्रमुख मुगलों की नीति अपना रहे हैं। निरहुआ ने दावा किया है कि यादव और मुसलमान वोट बैंक पर अपना एकाधिकार समझने वाली सपा का यह समीकरण दोनों वर्गों के सियासी रूप से जागरुक होने की वजह से अब बिखर चुका है। समाजवादी पार्टी अब ‘समाप्तवादी पार्टी’ बन चुकी है। निरहुआ ने अखिलेश यादव को बहुत छोटे दिल का आदमी बताया।
किसी को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते अखिलेश- निरहुआ

उन्होंने कहा कि वह अपने सिवाय किसी को आगे नहीं बढ़ना देना चाहते। वह चाहते तो अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाकर खुद आजमगढ़ से सांसद बने रहने दे सकते थे लेकिन चाचा के उनसे आगे बढ़ जाने के डर से उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘अखिलेश यादव को आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सपा की निश्चित हार का अंदाजा हो गया था, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल को मैदान में उतारने की बजाय धर्मेंद्र यादव को उपुनाव में उतारा नुकसान भी धर्मेंद्र का किया जा सके।’
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मुगलों की नीति अपना रहे अखिलेश यादव

निरहुआ ने आरोप लगाया कि जिस तरह मुगलों ने अपनी गद्दी बचाने के लिए अपने भाइयों और रिश्तेदारों का दमन किया, वही काम अखिलेश यादव भी कर रहे हैं। अपने पिता और चाचा के साथ उन्होंने जो किया, वह सबके सामने है। उन्होंने कहा कि सपा को यह गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए कि यादव और मुसलमान मतदाता उसके बंधुआ हैं। चुनाव दर चुनाव यह साबित होता जा रहा है कि सपा अब इन दोनों वर्गों का विश्वास खोती जा रही है। चाहे 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव हों या फिर 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव हों। निरहुआ ने दावा किया, “यादव और मुसलमान मतदाता अब यह सोचकर वोट देने लगे हैं कि वास्तव में कौन उनका भला कर सकता है और कौन उन्हें अभी तक अने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहा था। सपा अभी तक यादव और मुसलमान मतदाताओं के समीकरण से ही चुनाव जीतती रही है। अब यह समीकरण दरक चुका है। समाजवादी पार्टी अब समाप्तवादी पार्टी हो गई है।”
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