किसी को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते अखिलेश- निरहुआ उन्होंने कहा कि वह अपने सिवाय किसी को आगे नहीं बढ़ना देना चाहते। वह चाहते तो अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाकर खुद आजमगढ़ से सांसद बने रहने दे सकते थे लेकिन चाचा के उनसे आगे बढ़ जाने के डर से उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘अखिलेश यादव को आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सपा की निश्चित हार का अंदाजा हो गया था, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल को मैदान में उतारने की बजाय धर्मेंद्र यादव को उपुनाव में उतारा नुकसान भी धर्मेंद्र का किया जा सके।’
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Exclusive: जबरिया रिटायर्ड IPS अमिताभ ठाकुर बोले-बलिया से करूंगा राजनीतिक परिवर्तन की शुरुआत मुगलों की नीति अपना रहे अखिलेश यादव निरहुआ ने आरोप लगाया कि जिस तरह मुगलों ने अपनी गद्दी बचाने के लिए अपने भाइयों और रिश्तेदारों का दमन किया, वही काम अखिलेश यादव भी कर रहे हैं। अपने पिता और चाचा के साथ उन्होंने जो किया, वह सबके सामने है। उन्होंने कहा कि सपा को यह गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए कि यादव और मुसलमान मतदाता उसके बंधुआ हैं। चुनाव दर चुनाव यह साबित होता जा रहा है कि सपा अब इन दोनों वर्गों का विश्वास खोती जा रही है। चाहे 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव हों या फिर 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव हों। निरहुआ ने दावा किया, “यादव और मुसलमान मतदाता अब यह सोचकर वोट देने लगे हैं कि वास्तव में कौन उनका भला कर सकता है और कौन उन्हें अभी तक अने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहा था। सपा अभी तक यादव और मुसलमान मतदाताओं के समीकरण से ही चुनाव जीतती रही है। अब यह समीकरण दरक चुका है। समाजवादी पार्टी अब समाप्तवादी पार्टी हो गई है।”