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( Lok Sabha Elections Opinion) 1990 से भाजपा को खड़ा करने में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को जिसका सबसे ज्यादा समर्थन मिला था वह कुर्मी वोट बैंक था। उन्होंने कहाकि जब से भारतीय जनता पार्टी पर टीम गुजरात का कब्जा हुआ है तबसे सत्ता के लिये गुजरात टीम ने यूपी में जातिवादी अपना दल से हाथ मिला कर उसके नेताओं को मजबूत किया और (Opinion Poll ) भाजपा के कुर्मी नेताओं को कमजोर किया है। निष्ठा पूर्वक भाजपा में पड़े कुर्मी नेता बड़ी अफनाहट में हैं।
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(Lok Sabha Elections Political Analysis ) भाजपा सरकार में संगठन के वफादार कुर्मी चेहरा के नाम पर सिंचाई मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह हैं।एक और कुर्मी कैबिनेट मंत्री फतेहपुर के राकेश सचान विभिन्न दलों से होते हुये भाजपा में आये और कैबिनेट मंत्री हो गये। भाजपा कार्यकर्ताओं से इनका दूर-दूर तक तारतम्य नहीं है। राजनीतिक प्रवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि पीलीभीत से आने वाले संजय गंगवार राज्य मंत्री हैं। वह भी संघ व भाजपा मूल के कार्यकर्ता नहीं हैं।UP Board: यूपी बोर्ड परीक्षाएं खत्म, 16 मार्च से जांची जाएंगी कॉपियां
( Lok Sabha Elections ) पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय महामंत्री, राम जन्मभूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विनय कटियार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, योगी सरकार के पहले भाजपा की हर सरकार में मंत्री रहे चौधरी ओम प्रकाश सिंह, 2022 में पूर्व मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा का टिकट काट कर घर बिठा दिया गया। इस सूची में अब एक और दिग्गज कुर्मी नेता का नाम जुड़ गया है (Lok Sabha Elections Political) बरेली से 8 बार के सांसद संतोष गंगवार का जिन्हें अगला लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया गया है।समझा जाता है कि पहली सूची में उनका नाम काट कर पार्टी ने उन्हें भी रिटायर करने का संकेत दिया है।
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( Lok Sabha Elections Political Spokesperson ) पूर्व मंत्री रामकुमार वर्मा के पुत्र इंजीनियर शशांक वर्मा दो, और मिर्जापुर से विधायक अनुराग चौधरी लगातार पार्टी की उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। किसान कांड में चर्चित हुए गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र “टेनी” लखीमपुर खीरी में शशांक पर भारी रहते हैं। मिर्जापुर में अनुप्रिया पटेल का इतना जलजला है कि सरकारी कार्यक्रम में भी अनुराग चौधरी का नाम काट दिया जाता है। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के कार्यक्रम में निमंत्रण पत्र और होडिंग्स में कई जिलों के जनप्रतिनिधियों का नाम छापा गया लेकिन अनुराग चौधरी का नाम नहीं छापा गया। इससे मूल भाजपा का कुर्मी खुद को भाजपा में बेज्जती समझ रहा है।