बसपा सुप्रीमो ने कहा कि मोदी सरकार की अबतक जो प्राथमिकतायें रहीं हैं वह ख़ासकर देश के करोड़ों ग़रीबों, मजदूरों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के हितों की रक्षक कतई नहीं रही हैं, जिस कारण ही बेरोजगारी की महामारी है तथा अमीरों व ग़रीबों के बीच पहले से मौजूद खाई लगातार बढ़ती ही चली जा रही है।
मायावती ने संसद में पेश प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी सरकार के अन्तिम केन्द्रीय बजट को गतवर्षों की तरह ही केवल लच्छेदार बातों वाला छलावा व ग़रीब-विरोधी एवं धन्नासेठ-समर्थक बताते हुये कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अपनी जुमलेबाजी बन्द करके तथ्यों व तर्कों के आधार पर यह ज़रूर बताना चाहिये कि कहाँ है वह अच्छे दिन जिसका वायदा उन्होंने देश की सवा सौ करोड़ जनता से सीना तानकर चुनाव के समय किया था और अगर ऐसा नहीं हैं तो अपने भ्रामक व वादाखि़लाफी के लिये उन्हें देश से माफी माँगनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि वास्तव में मोदी सरकार की अबतक जो प्राथमिकतायें रहीं हैं वह ख़ासकर देश के करोड़ों ग़रीबों, मजदूरों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के हितों को साधने वाली कतई नहीं रही हैं और यही कारण है कि विकास के जो दावे सरकार द्वारा किये जाते रहे हैं उसका थोड़ा भी लाभ इन वर्गों के लोगों को नहीं मिल पाया है जिस कारण अमीरों व ग़रीबों के बीच की पहले से मौजूद खाई लगातार बढ़ती ही चली जा रही है। इससे समाज उदृवेलित व तनाव में है। साथ ही यह सरकार की पूरी प्राथमिकताओं व दावों की पोल भी खोलता है।