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लखनऊ

Mental Hygiene Survey 2021: कोविड-19 के तनाव से 41.4 प्रतिशत भारतीय महिलाओं में अनियमित माहवारी

कोविड के दौर में 34.2 प्रतिशत महिलाओं ने माहवारी के प्रवाह में भी अनियमितता देखी, 20 प्रतिशत महिलाओं को कम से कम एक बार माहवारी नहीं हुई

लखनऊMay 28, 2021 / 06:20 pm

Ritesh Singh

Mental Hygiene Survey 2021: कोविड-19 के तनाव से 41.4 प्रतिशत भारतीय महिलाओं में अनियमित माहवारी

Mental Hygiene Survey 2021: कोविड-19 के तनाव से 41.4 प्रतिशत भारतीय महिलाओं में अनियमित माहवारी

लखनऊ , महिलाओं के अग्रणी भारतीय ब्रांड ऐवरटीन ने मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे 2021 की पूर्वसंध्या पर 6ठे वार्षिक मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे के नतीजों को जारी किया। दुनिया भर में 28 मई मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे के रूप में मनाया जाता है। इस सर्वे में दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, हैदराबाद व कोलकाता से 18 से 35 वर्ष की लगभग 5000 महिलाओं ने हिस्सा लिया। इस वर्ष के ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे का एक खास लक्ष्य यह भी था कि महिलाओं के मासिक धर्म में कोविड-19 और लाॅकडाउन के असर को मापा जाए। इस सर्वे में खुलासा हुआ कि 41 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने मासिक धर्म में असामान्य रूप से अनियमित अंतर का अनुभव किया। अचरज यह है कि सिर्फ 13.7 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे कोविड-19 से संक्रमित हुई थीं। 64.5 प्रतिशत महिलाओं ने कहा की कोविड के दौर ने उनका तनाव और बेचैनी को बढ़ाया है।
कई महिलाओं की दो माहवारियों के मध्य में अनियमितता आने का यह संभव कारण हो सकता है। सर्वे में भाग लेने वाली 34.2 प्रतिशत यानी एक-तिहाई से ज्यादा महिलाओं ने कहा कि उन्होंने माहवारी के स्त्राव में भी बदलाव देखा; इसके अलावा 20 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि इस कोरोना काल में कम से कम एक दफा ऐसा हुआ कि उन्हें मासिक धर्म नहीं हुआ। 29.2 प्रतिशत महिलाओं ने दावा किया की महामारी के इस दौर में उनके पीरियड्स सामान्य के मुकाबले ज्यादा पीड़ादायी रहे जबकि 28.8 प्रतिशत महिलाओं ने कहा की माहवारी होने में उन्होंने रक्त में थक्कों की असामान्य मात्रा देखी।
पैन हैल्थकेयर के सीईओ चिराग पैन कहते हैं। हमारे समाज का सामाजिक-आर्थिक ढांचा ऐसा है की इसमें आम तौर पर महिलाओं में मासिक धर्म के पहलू को अनदेखा किया जाता है। इसकी अत्यावश्यक जरूरत है की भारत और विश्व का अनुसंधान समुदाय कोविड-19 के दौर में मेंस्ट्रुअल हेल्थ के इन पहलूओं पर भी अध्ययन करे। इस वर्ष ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे से एक अन्य अहम जानकारी यह मिली कि भारत में महिलाओं के लिए सैनिटरी उत्पाद आसानी से उपलब्ध कराने के लिए सरकारों को प्रभावी हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है। सर्वे में हमने पाया की हर चार में से एक महिला को लाॅकडाउन के दौरान सैनिटरी प्रोडक्ट्स हासिल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
यह चिंतत करने वाली बात है कि 26.6 प्रतिशत महिलाओं ने माहवारी में अनियमितता के लिए कुछ नहीं किया जबकि 35.4 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी मां या सहेलियों से बात की। केवल 38 प्रतिशत महिलाओं ने इस मसले पर डाॅक्टरी सलाह ली। इसी तरह, 58.1 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि मासिक धर्म शुरु होने से अब तक उन्हें जीवन में किसी न किसी समय श्वेत स्त्राव से जूझना पड़ा है लेकिन सिर्फ 25.5 प्रतिशत महिलाओं ने ही इस बारे में डाॅक्टर से परामर्श किया।

जब उन्हें पहली बार पीरियड आया तो 36 प्रतिशत महिलाओं ने समझा की यह कोई चोट या बीमारी है। 79.8 प्रतिशत महिलाएं अब भी पहले पीरियड के बारे में अपनी मां से चर्चा करने को तरजीह देती हैं। मासिक धर्म के विष्य में समाज का दृष्टिकोण बदलने के लिए एक संपूर्ण आईईसी माॅडल निर्मित करने की आवश्यकता है। दो-तिहाई से अधिक महिलाओं यानी 67.7 प्रतिशत का मानना था कि पीरियड्स के दौरान लड़कियों को खेलकूद में दिक्कत आती है। भारत में मेंस्ट्रुअल कप जैसी आधुनिक हाइजीन पद्धतियों के बारे में जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है।
ऐवरटीन की निर्माता वैट् ऐंड ड्राई पर्सनल केयर के सीईओ हरिओम त्यागी कहते हैं। इस वर्ष के ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में उत्साहजनक जानकारियां भी सामने आईं। उदाहरण के लिए, 56.2 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि अब वे जनरल स्टोर्स या कैमिस्ट शाॅप से बेहिचक सैनिटरी प्रोडक्टस खरीदती हैं। हालांकि, बाकी 43.8 प्रतिशत महिलाएं अब भी ऐसे उत्पाद दुकान से खरीदने में हमेशा या काफी ग्राहकों की मौजूदगी में हिचक महसूस करती हैं। हमारे समाज में इस विषय पर और भी जागरुकता की जरूरत है। यह भी सराहनीय है की अब हर चार में से एक महिला पीरियड्स के दौरान भी आराम से घर से बाहर निकल पाती हैं।
ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे 2021 के अन्य परिणामों ने दर्शाया है की भारत में 90.9 प्रतिशत महिलाएं अब भी सैनिटरी नैपकीन के इस्तेमाल को तरजीह देती हैं, जबकि 7.3 प्रतिशत महिलाएं मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने लगी हैं और 1 प्रतिशत महिलाएं टैम्पोन का प्रयोग कर रही हैं। हालिया वर्षों के रुझान की ही तरह इस साल का सर्वे भी दर्शाता है की मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता के बारे में बात करना अब कोई ढका-छुपा विषय नहीं है। भारतीय समाज में यह विषय अब मुख्यधारा में आता जा रहा है। 52.9 प्रतिशत महिलाओं ने महसूस किया की भारत में माहवारी को एक सकारात्मक अथवा तटस्थ विषय के तौर पर लिया जाता है। ऐसी महिलाओं की तदाद भी बढ़ी है (16.8 प्रतिशत) जो मानती हैं की पुरुषों व महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी धारणाओं को लेकर कोई अंतर नहीं है।

64.4 प्रतिशत महिलाएं दफ्तरों, माॅल और सिनेमा हाॅल में सार्वजनिक टाॅयलेट इस्तेमाल करते वक्त सशंकित रहती हैं; उन्होंने सैनिटरी प्रोडक्ट बदलने के लिए ऐसी जगहों को बेहद कम या कभी नहीं इस्तेमाल किया। ब्रांड ऐवरटीन वर्ष 2014 से सालाना मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे करता आ रहा है। स्त्रियों की संपूर्ण अन्तरंग स्वच्छता और मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर जागरुकता करने के लिए । आज, ऐवरटीन महिलाओं के लिए 35 से अधिक विविध प्रकार के इंटीमेट हाइजीन और वैलनेस प्रोडक्ट पेश करता है जिनमें सैनिटरी पैड, टैम्पोन, मेंस्ट्रुअल कप, बिकिनी लाइन हेयर रिमूवर क्रीम, इंटीमेट वाॅश, इंटीमेट वाइप्स, टाॅयलेट सीट सैनिटाइज़र, मेनोपाॅज़ल रिलीफ कैप्सूल आदि शामिल हैं। अमेज़न, फ्लिपकार्ट, नायका, पर्पल, स्नैपडील, पेटीएम आदि कई ऑनलाइन पोर्टल्स पर यह ब्रांड बैस्टसैलर है। भारत के अलावा अमरीका ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड, फ्रांस, मलेशिया, सउदी अरब तथा दक्षिण अफ्रीका जैसे कई देशों के नागरिक भी ऐवरटीन उत्पादों का उपयोग करते हैं।

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