हिंदू धर्म में गुरुओं का भगवान से भी ज्यादा महत्व है, क्योंकि गुरु ही हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाता है। इस वजह से देश भर में खासकर वेदव्यास की तपोस्थली नैमिषारण्य में गुरु पूर्णिमा धूमधाम से मनाई जाती है। नैमिषारण्य स्थित व्यास गद्दी आश्रम में गुरु पूर्णिमा मनाने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। हालांकि, इस साल कोरोनावायरस के कारण ज्यादातर लोग घरों में ही रहकर गुरु पूर्णिमा मनाएंगे।
वेदव्यास को भगवान विष्णु का कलावतार माना गया है। इसलिए भगवान विष्णु की पूजा भी गुरु पूजा मानी जाती है। हिंदू धर्म के मुताबिक गुरु ही अपने शिष्य के जीवन के अंधेरे को दूरकर उसे उजाले की ओर ले जाता है और उसके जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है। हर साल वर्षा ऋतु में गुरु पूर्णिमा आती है। गुरु की पूजा के लिए इस मौसम को श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान न तो ज्यादा सर्दी होती है और न ही गर्मी। इस दिन केवल गुरु ही नहीं बल्कि घर में अपने बड़ों जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि का आशीर्वाद लिया जाता है, क्योंकि वे भी हमारे जीवन में किसी न किसी तरह से गुरु की भूमिका निभाते हैं।
ऐसे करें गुरु की पूजा
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह उठें। दैनिक क्रिया से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। गुरु की फोटो सामने रखकर उसकी पूजा करें। अगर सामने हैं तो सबसे पहले उनके चरण धोकर तिलक लगाएं और फूल चढ़ाएं। गुरु को भोजन कराएं। दक्षिणा देकर उनके पैर धुलें और उन्हें विदा करें। इस दिन आप किसी ऐसे इंसान की पूजा भी कर सकते हैं, जिसे अपना गुरु मानते हैं। गुरु की पूजा करते समय निम्न मंत्र की स्तुति करें-
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम: इसके बाद भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें और फिर गुरु ( ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश) की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, ताम्बूल, अक्षत, कुमकुम और रोली आदि से विधि पूर्वक करें। अंत में गुरु व्यास से बल, बुद्धि और विद्या हेतु कामना करें। खासकर विद्यार्थियों के लिए यह दिन अति उत्तम है। इसके बाद अपने गुरु को दक्षिणा दें।
गुरु पूर्णिमा की तिथि व शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिका की तिथि : 5 जुलाई
गुरु पूर्णिमा प्रारंभ : 4 जुलाई 2020 को सुबह 11 बजकर 33 मिनट से
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त : 5 जुलाई 2020 को सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक