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लागत बढ़ रही है, सैप बढ़ाया जाये
जनहित याचिका में अनुरोध किया गया कि लगातार किसानों की लागत लगातार बढ़ रही है। ऐसे में अदालत यूपी में गन्ने के लिए स्टेट एडवाइस्ड प्राइस (सैप) को तीन सीजन के लिए बढ़ाने का निर्देश दे। याचिका में कहा गया है कि गन्ना मूल्य के भुगतान में हो रही देरी और आज की जरूरत के मुताबिक सैप में संशोधन नहीं करना किसानों की मुसीबत और बढ़ा रहा है। बता दें कि राज्य सरकार भी अपनी ओर से किसानों के लिए गन्ने का दाम तय करती है। इसे सैप कहा जाता है।
उत्तर प्रदेश में गन्ना भुगतान पर विवाद बढ़ता जा रहा है। गन्ना किसान बकाया भुगतान की मांग कर रहे हैं। कई जिलों में प्रदर्शन हो रहे हैं। विपक्षी दल भी सरकार को घेर रहे हैं। वहीं, राज्य सरकार का दावा है कि पेराई सीजन 2019-20 का शत-प्रतिशत भुगतान हो चुका है और वर्तमान पेराई सत्र के बकाया भुगतान भी जल्द करवाने के लिए चीनी मिलों पर लगातार दवाब बनाया जा रहा है। जो चीनी मिलें भुगतान नहीं करेंगी उनकी आरसी जारी होगी।
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सरकार का दावा है कि चार साल में योगी सरकार ने किसानों को 1 लाख 40 हजार करोड़ किसानों को गन्ना का भुगतान किया है। अधिकारियों का दावा है कि 10 वर्षों (2007 से 2017) में गन्ना किसानों को जितना भुगतान था, योगी सरकार ने सिर्फ 4 साल में कर दिखाया है। इतना ही नहीं, चीनी एक्सपोर्ट बंद होने के बाद भी गन्ने का भुगतान किया जाता रहा। कोरोना काल में जब सब कुछ बंद था, चीनी मिल चलती रहीं।2017-18 63 63824.22
2018-19 64 59792.39
2019-20 63 69777.32
2020-21 75 78868.89