वहीं आरटीआई से यह भी खुलासा हुआ है कि इस दौरान 40 हजार से ज्यादा ट्रेनें लेट हुई हैं। रेलवे ने कोविड महामारी के कारण 2020 में अपनी सभी सामान्य यात्री सेवाओं को निलंबित कर दिया था और उस वर्ष केवल विशेष ट्रेनें चलाई थीं। रेलवे ने पिछले साल नवंबर में अपना परिचालन फिर से शुरू किया था। आरटीआई के जवाब में रेलवे ने कहा है कि अप्रैल से दिसंबर 2021 तक 15,199 मेल या एक्सप्रेस ट्रेनें देरी से चलीं, जबकि इसी अवधि के दौरान 26,284 यात्री ट्रेनें देरी से चलीं, इस तरह की देरी से चलने वाली ट्रेनों की कुल संख्या 41,483 हो गई। हालांकि यह जानकारी नहीं मिल सकी है कि 35 हजार से ज्यादा ट्रेनें रद्द होने और 40 हजार से ज्यादा ट्रेनें लेट होने की वजह से कितने यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
आरटीआई से यह भी पता चलता है कि रेलगाड़ियों के पटरी पर लौटने और सामान्य परिचालन फिर से शुरू होने के बाद से रेलवे तय समय पर ट्रेनें नहीं चला पा रहा है। अप्रैल से जून तिमाही के दौरान, जब रेलवे केवल विशेष ट्रेनें चला रहा था, 7,050 ट्रेनें रद्द कर दी गईं और लगभग 94 प्रतिशत ट्रेनें इस दौरान लेट हुई थीं। जुलाई से सितंबर तिमाही में 14,249 ट्रेनें देरी से चलीं। वहीं अक्टूबर से दिसंबर तिमाही में जब ट्रेन संचालन सामान्य हो चुका ता उसके बावजूद इस दौरान 20,184 ट्रेनें विलंब से चलीं।
रेवले की इस लापरवाही को लेकर यात्रियों ने ट्विटर पर खूब शिकायतें कीं। इस दौरान कई यात्रियों ने खाने की, पीने के पानी की कोई व्यवस्था स्टेशन पर न होने की भी शिकायत दर्ज करायी।
वहीं इस वित्तीय वर्ष में ट्रेनों के देरी और रद्द होने की संख्या में वृद्धि होने की उम्मीद है क्योंकि जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान सर्दी शुरू होती है। जबकि रखरखाव के कारणों से बहुत सी ट्रेनों को पहले ही रद्द किया जा चुका है। एनटीईएस की वेबसाइट के अनुसार, 22-23 जनवरी को रेलवे ने परिचालन कारणों और कोहरे के कारण लगभग 1,500 ट्रेनों को रद्द कर दिया। शनिवार को, 18 ट्रेनों के शुरुआती स्टेशन को बदल दिया गया था, और 28 ट्रेनों को शॉर्ट टर्मिनेट कर दिया गया था। इसी तरह रविवार के दिन भी 17 ट्रेनों के स्रोत स्टेशन को बदल दिया गया और 21 ट्रेनों को शॉर्ट टर्मिनेट किया गया।
रद्द की गई ट्रेनों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, नई दिल्ली, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और असम के बीच चलने वाली ट्रेनें शामिल हैं।
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि रखरखाव के चलते रद्द हुई इन ट्रेनों से आप खुद समझ सकते हैं कि लंबे समय से लम्बित जर्जर पटरियों पर कितना काम करना अभी बाकी है। रेल मंत्रालय के अनुसार, रेलवे अगले कुछ वर्षों में 1,15,000 करोड़ रुपये से अधिक की 58 सुपर क्रिटिकल और 68 क्रिटिकल परियोजनाओं को किया जाना है।
पिछले एक साल में 11,588 करोड़ रुपये की लागत से कुल 1,044 किलोमीटर लंबी उनतीस सुपर क्रिटिकल परियोजनाओं को चालू किया गया है। 29 सुपर क्रिटिकल परियोजनाओं में से 27 परियोजनाओं को दिसंबर 2021 तक पूरा किया जाना था, जबकि दो परियोजनाओं को इस साल मार्च तक सौंप दिया जाएगा।