scriptकभी पिता के इलाज के लिए भूखे पेट सोकर बचाते थे पैसे, आज भूखे लोगों को फ्री में खिलाते हैं खाना | inspiring story of lucknow man who serves free food to people | Patrika News
लखनऊ

कभी पिता के इलाज के लिए भूखे पेट सोकर बचाते थे पैसे, आज भूखे लोगों को फ्री में खिलाते हैं खाना

– लखनऊ के 39 वर्षीय विशाल फ्री में मरीजों के तीमारदारों को खिलाते हैं भोजन
– बचपन में पिता के इलाज के लिए खुद सोते थे भूखे पेट
– एक साल तक केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग में चला विशाल का इलाज

लखनऊAug 30, 2019 / 04:42 pm

Karishma Lalwani

कभी पिता के इलाज के लिए भूखे पेट सोकर बचाते थे पैसे, आज भूखे लोगों को फ्री में खिलाते हैं खाना

कभी पिता के इलाज के लिए भूखे पेट सोकर बचाते थे पैसे, आज भूखे लोगों को फ्री में खिलाते हैं खाना

लखनऊ. कभी मुफलिसी में जीवन व्यतीत करने वाले लखनऊ के 39 वर्षीय विशाल सिंह आज कई मरीजों के तीमारदारों लिए नई उम्मीद बन गए हैं। बचपन में भूख पेट सोकर पिता के इलाज के लिए पैसे इकट्ठा करने वाले विशाल सिंह आज केजीएमयू, लोहिया, बलरामपुर अस्पताल स्थित कई अस्पतालों में तीमारदारों को दो वक्त भोजन मुहैया कराते हैं।
विशाल का सफर शुरू हुआ अस्पताल में तीमारदारों को मुफ्त में चाय बंद मक्खन खिलाने से। पहले जब पिता के इलाज के लिए पैसे नहीं होते थे, तो रैन बसेरे में उन्हें गुजारा करना पड़ता था। कई-कई रात भूखे सोना पड़ा, ताकि इलाज के लिए रुपये न कम पड़ जाएं। इस दौरान इलाज के खर्च से टूट चुके तीमारदारों को मासूम बच्चों के साथ खाली पेट सोते देखा, तो खुद से वादा किया कि पिताजी को अस्पताल से घर ले जाने के बाद बेबस तीमारदारों के लिए कुछ करना है। हालांकि, इसके बाद विशाल के पिता का अस्पताल में निधन हो गया। मगर उन्होंने खुद से किया वादा पूरा किया। लखनऊ लौटने के बाद अस्पतालों में भर्ती मरीजों की देखभाल करने वाले जरूरतमंदों को नि:शुल्क चाय-बन देने से शुरू हुआ सफर आज केजीएमयू, लोहिया और बलरामपुर समेत कई अस्पतालों में तीमारदारों को दो वक्त भोजन मुहैया करवाने तक पहुंच चुका है।
अपनों ने किया कटाक्ष

2003 में पिता विजय बहादुर सिंह के देहांत के बाद जरूरतमंदों की मदद के लिए उनकी याद में विजय श्री फाउंडेशन बनाया। जमा पूंजी और दोस्तों के सहयोग से अस्पतालों में भर्ती मरीजों और तीमारदारों के लिए घर से खाना बनाकर ले जाते थे। करीब चार साल तक सेवा करने के बाद आर्थिक स्थित खराब होने लगी। धीरे-धीरे रिश्तेदारों और परिचितों ने कटाक्ष करने शुरू कर दिए। एक समय ऐसा भी आया जब खुद के लिए कुछ नहीं बचा। पिता की याद में लिया गया संकल्प टूटने की आशंका और लोगों के ताने सुनकर विशाल अवसाद में आ गए।
एक साल तक इलाज

विशाल मानसिक रूप से इतने प्रताड़ित थे कि केजीएमयू में एक साल तक मानसिक रोग विभाग में उनका इलाज चला। हालत में सुधार होने पर एक बार फिर लोगों की सेवा में जुट गए। हालांकि, इस बार थोड़े अलग से ढंग से काम करना शुरू किया। जन्मदिन, शादी की सालगिरह जैसे मौके पर जरूरतमंदों की मदद कर कुछ अलग अंदाज में जश्न मनाने की अपील करते हुए लोगों को जोड़ना शुरू किया। पहल रंग लाई और तमाम लोग आगे आने लगे। इसी का नतीजा है कि वर्ष 2015 में केजीएमयू से शुरू हुआ सेवा का सफर आज लोहिया इंस्टिट्यूट और बलरामपुर अस्पताल में रोज करीब 900 जरूरतमंदों को भोजन मुहैया करवाने तक पहुंच गया है।

Home / Lucknow / कभी पिता के इलाज के लिए भूखे पेट सोकर बचाते थे पैसे, आज भूखे लोगों को फ्री में खिलाते हैं खाना

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो