बताते हैं कि शिवपाल यादव ने आज चुनाव आयोग से लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए चुनाव चिन्ह मांगा था। अपुष्ट सूत्र कहते हैं कि निर्वाचन आयोग की दलील थी कि क्या शिवपाल यादव का राजनीतिक दल रजिस्टर्ड पार्टी है। रजिस्टर्ड पार्टी को चुनाव से पहले उपलब्ध चुनाव चिन्हों में से कोई एक दिया जाता है, लेकिन प्रादेशिक अथवा राष्ट्रीय स्तर पर सभी उम्मीदवारों के लिए विशिष्ट चुनाव चिन्ह नहीं मिलता।
कहते हैं कि सिर्फ प्रांतीय या राष्ट्रीय स्तर की रिकॉग्नाइज्ड पॉलीटिकल पार्टीज को अखिल भारतीय स्तर पर चुनाव चिन्ह दिया जाता है। यानी आम चुनाव के समय शिवपाल यादव की पार्टी के उम्मीदवारों को अलग अलग चुनाव चिन्हों से गुजारा करना पड़ सकता है। वहीं शिवपाल के मोर्चे के प्रवक्ता ने बताया कि यह पूरी तौर से अफवाह है। उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
करीब चार दिन पहले शिवपाल सिंह यादव ने पत्रिका से बात के दौरान इस बात का दावा किया था कि उन्होंने पार्टी के चुनाव चिह्न के लिए आवेदन कर दिया है। लेकिन चुनाव चिह्न क्या मिलेगा यह तो चुनाव आयोग ही बताएगा। लेकिन यह बताते चलें कि जब तक राष्ट्रीय या राज्य स्तर की पार्टी नहीं होती तब तक कोई स्थाई चुनाव चिह्न नहीं मिलता। ऐसे में शिवपाल की पार्टी के सामने चुनाव चिह्न का संकट खड़ा हो जाएगा। ऐसी ही स्थिति कल्याण सिंह की राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के सामने आई थी। उनके हर उम्मीदवार को अलग-अलग चुनाव चिन्ह से चुनाव मैदान में उतरना पड़ा था।