काफी समय से खुलासे में जुटी थी पुलिस लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि राजधानी लखनऊ के अलग-अलग इलाकों में हुई डकैती की घटनाओं के खुलासे में पुलिस की टीमें सक्रिय थीं। इस दौरान पुलिस को देश के अन्य राज्यों में हुई घटनाओं से लखनऊ में हुई घटनाओं में कुछ समानता देखने को मिली। इसी आधार पर पुलिस ने मामले की जांच आगे बढ़ाई। इस दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि ये घटनाएं बांग्लादेशी बदमाशों द्वारा अंजाम दी जा रही हैं। पुलिस ने सर्विलांस और मुखबिर टीम को सक्रिय करते हुए बदमाशों को पकड़ने की योजना तैयार की।
शुक्रवार तड़के सुबह हुए दो मुठभेड़ गुरुवार की रात लखनऊ में रेलवे लाइन के किनारे की किसी कॉलोनी को निशाना बनाये जाने की सूचना पर पुलिस ने इस क्षेत्र में गश्ती बढ़ा दी। बदमाशों को पकड़ने के लिए 500 से अधिक सिपाही, 16 थानेदार, 2 एएसपी और खुद एसएसपी ने मोर्चा संभाला। मल्हौर से डालीगंज के बीच भारी पुलिस बल की मदद से तलाशी अभियान शुरू किया गया। इस दौरान शुक्रवार तड़के गाजीपुर थाना क्षेत्र में जुगौली क्रॉसिंग के पास कुछ बदमाशों के होने की सूचना पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची। बदमाशों ने पुलिस टीम को देखते ही फायरिंग शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस ने जवाबी फायरिंग कर बांग्लादेश के बागेरहट जिले के रहने वाले शफीकुल को गिरफ्तार कर लिया। इनके साथी यहाँ से बादशाहनगर रेलवे स्टेशन की ओर भाग निकले। महानगर पुलिस ने बादशाहनगर स्टेशन के पास मुठभेड़ में कमल को गिरफ्तार किया जो बांग्लादेश के खुलना जिले का रहने वाला है। पुलिस ने दोनों बदमाशों को घायल अवस्था में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया है। मुठभेड़ के दौरान बदमाशों के कई साथी भाग निकले जिनकी पुलिस तलाश कर रही है।
कई राज्यों में कर चुके हैं वारदात एसएसपी ने बताया कि गिरफ्त में आये बदमाशों के पास से पिस्टल, जिन्दा कारतूस, बांग्लादेशी करेंसी, बांग्लादेशी टीशर्ट, पेंचकस और रस्सी बरामद हुआ है। पुलिस इस पूरे मामले की जानकारी आईबी को भेजेगी क्योंकि दूसरे देश से भारत में अवैध रूप से घुसकर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देना देश की सुरक्षा के लिए भी चिंताजक मामला है। पूछताछ में बदमाशों ने स्वीकार किया है कि लखनऊ सहित कई अन्य राज्यों में ये बदमाश डकैती की कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं।
फरार बदमाशों की गिरफ़्तारी करना है चुनौती पुलिस के मुताबिक ये बदमाश डकैती या लूट के लिए रेलवे ट्रैक के किनारे बसी कालोनियों को चुनते थे। जिस दिन ये बदमाश किसी घटना को अंजाम देते थे, उस दिन किसी भी प्रकार से मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते थे। इसके अलावा ये बदमाश जिस शहर में वारदात को अंजाम देने जाते थे, वहां किसी होटल में नहीं ठहरते थे। ये बदमाश 6 से 7 की संख्या में घरों पर धावा बोलते थे और बल्लम, चाकू, बांका के साथ ही लोगों को डराने के लिए पिस्टल का भी उपयोग करते थे। घटनाओं के दौरान ये आम तौर पर हथियारों से हमला नहीं करते थे, बल्कि इनका उपयोग सिर्फ डराने के लिए ही करते थे। फिलहाल इन बांग्लादेशी बदमाशों के अन्य फरार साथियों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है।