महाशिवरात्रि की पूरी कहानी
एक बार नारद मुनि शिवलोक गए। वहां जाकर उन्होंने वैष्णवों में श्रेष्ठ शिव जी का यह कह कर गुणगान करना शुरु कर दिया कि आप तो भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय हैं। आपका उनसे कोई भेद नहीं है। आप और वे एक ही हैं। आप जीवों का हर तरह से कल्याण कर सकते हैं, यहां तक कि कृष्ण-प्रेम भी दे सकते हैं। अपनी महिमा सुन कर शिव जी ने बड़ी विनम्रता से नारद जी से कहा कि मैं तो श्रीकृष्ण का तुच्छ सा सेवक हूं, ये तो उनकी अहैतुकी कृपा है कि वे अपनी सेवाएं मुझे प्रदान करते हैं।
श्रीमद् भागवत में एक और प्रसंग है कि एक बार देवताओं और दैत्यों ने मिल कर भगवान के निर्देशानुसार समुद्र मंथन की योजना बनाई ताकि अमृत प्राप्त किया जा सके। परंतु उस समुद्र मंथन के समय सबसे पहले हलाहल विष निकला था। वह विष इतना विषैला था कि उससे समस्त जगत भीषण ताप से पीड़ित हो गया था। देव-दैत्य बिना पिए उसको सूंघते ही बेसुध से हो गए।
तब भगवान ने अपनी शक्ति से उनको ठीक किया। देवों ने जब इस विष से बचने का उपाय पूछा तो भगवान ने कहा कि शिवजी से अगर आप सब लोग प्रार्थना करें तो वे इसका हल निकाल लेंगे। श्रीशिव जी महाराज ने देवताओं की प्रार्थना पर भगवान की प्रसन्नता के लिए उस हलाहल विष को पीने का निर्णय लिया। अपने हाथों में उस विष को पी गए। किंतु उसको निगला नहीं। आपने विचार किया कि मेरे हृदय में रहने वाले भगवान को यह रुचेगा नहीं। इसलिए आपने वह विष अपने गले में ही रोक लिया। जिसके प्रभाव से आपका गला नीला हो गया और आप नीलकंठ कहलाए। आपकी ऐसी अद्भुत व अलौकिक चेष्टा की याद में ही श्री शिवरात्री मनाई जाती है। इस कथा के अनुसार इसीलिए महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि मनाने का उद्देश्य
महाशिवरात्रि का पावन पर्व भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती जी के विवाह के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत में भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा बड़े धूमधाम के साथ की जाती है।
एक साल में कितनी शिवरात्रि होती है
लखनऊ निवासी पंडित दिलीप दुवे ने वताया है कि हिन्दू पंचांग कलेंडर के अनुसार एक साल में 12 शिवरात्रि होती है। शिवरात्रि प्रत्येक हिन्दू महीने की कृष्ण चतुर्दशी जो हर महीने का अंतिम दिन होता है उसी दिन शिवरात्रि मनाई जाती है। लेकिन माघ महीने की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के तोर पर मनाया जाता है। पुरे भारत वर्ष में इसी दिन महाशिवरात्रि बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है।