scriptThunder Lightning safety tips: आकाशीय बिजली गिरने पर न करें यह काम, जा सकती है जान, ऐसे करें बचाव | Monsoon 2021 Thunder and Lightning safety tips | Patrika News
लखनऊ

Thunder Lightning safety tips: आकाशीय बिजली गिरने पर न करें यह काम, जा सकती है जान, ऐसे करें बचाव

Thunder Lightning safety tips. मौसम खराब होने पर ऊंची इमारतों वाले इलाकों में शरण न लें। ऐसे इलाकों में बिजली गिरने का डर ज्यादा होता है।

लखनऊJul 13, 2021 / 05:27 pm

Abhishek Gupta

Thunder Lightning

Thunder Lightning

लखनऊ. आकाशीय बिजली (Thunder lighting) गिरने से उत्तर प्रदेश में 40 लोगों की रविवार को मौत हो गई। कई परिवारों में मातम छा गया। प्रकृति के इस कहर से प्रतिवर्ष सैकड़ों की जान जाती है। आंधी, तूफान व बारिश के मौसम में अकसर बिजली गिरती है। इसे टाला तो नहीं जा सकता है, लेकिन थोड़ी सावधानी बरतने से बचा जरूर जा सकता है। सावधानियां जानने से पहले यह जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर यह आकाशीय बिजली गिरती क्यों है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय की मानें, कि आसमान में जब धनात्मक व ऋणात्मक आवेशित (Charged) बादल उमड़ते-घुमड़ते हुए एक-दूसरे से टकराते हैं, तो उससे एक हाई लेवेल की बिजली निकलती है। इससे दोनों तरह के बादलों के बीच हवा में बिजली का फ्लो काफी तेज हो जाता है। इससे रोशनी की तेज चमक उत्पन्न होती है।
ये भी पढ़ें- UP Weather Updates: अच्छी बारिश के लिए करना होगा इंतजार, तीन से चार दिन बाद जमकर सक्रिय होगा मानसून! जमकर बरसेंगे बदरा

जब घर्षण (Friction) से बनने वाली बिजली के लिए आसमान की बूंदों में से भी फ्लो काफी नहीं रहता है तो यह धरती पर कंडक्टर (संचालक) तलाशती है, जहां से वह गुजर सके। आकाशीय बिजली के लिए बिजली के खंबे कंडक्टर का कार्य करते हैं, लेकिन कोई जीवधानी (मनुष्य/पशु) उसके लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है।
12.5 करोड़ वाट से अधिक होती है इसकी क्षमता-

मौसम वैज्ञानिक का मानना है कि बादलों से गिरने वाली ऐसी बिजली की ऊर्जा एक अरब वोल्ट तक की हो सकती है। इसकी क्षमता 300 किलोवाट मतलब 12.5 करोड़ वाट से भी अधिक होती है। नॉर्मल रूप से इसका तापमान सूर्य की ऊपरी सतह से भी अधिक होता है। जहां कहीं भी ट्रफ लाइन (मतलब बादलों की श्रृंखला) होती है, वहीं पर बिजली गिरने का खतरा अधिक होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जहां कम बादल हो वहां सतर्कता न बरती जाए। रविवार तक ट्रफ लाइन उत्तर प्रदेश में थी, जब बिजली गिरने से 40 की मौत हुई। सोमवार को यह राजस्थान में थी और उसके बाद मध्य प्रदेश, ओडिशा की तरफ बढ़ी, जहां खतरा बढ़ा है।
ये भी पढ़ें- UP Weather Updates : मानसून को फिर नहीं पढ़ पाया मौसम विभाग, समय से पहले दी दस्तक, इस साल जमकर होगी बारिश

ऐसे करें बचाव-
मौसम खराब होने पर ऊंची इमारतों वाले इलाकों में शरण न लें। ऐसे इलाकों में बिजली गिरने का डर ज्यादा होता है।
– लोहे के पिलर वाले पुल के आसपास बिल्कुल भी न जाएं।
– अगर किसी खुले स्थान में हैं तो तुरंत किसी पक्के मकान की शरण लें।

– दरवाजे, खिड़की, छत व बरामदे से दूर ही रहें।
– यदि खेत या जंगल में हैं तो घने व बौने पेड़ की शरण में चले जाएं। साथ ही पैरों के नीचे प्लास्टिक बोरी, लकड़ी या सूखे पत्ते जरूर रख लें।
– ऐसे मौसम में खुले में या बालकनी में मोबाइल पर बात न करें।
– कार में हैं, तो उसी में रहे। बाहर न निकले।
– बाइक से दूर ही रहें।

– बिजली के उपकरणों से दूर रहें। यदि घर में टीवी, फ्रिज आदि उपकरण चर रहे हों, तो उन्हें बंद कर दें।
– ऐसे मौसम में तालाब, नदी व स्वीमिंग पूल से दूर रहे।
– समूह में या एक साथ न खड़े हों। सभी उचित दूरी बनाकर खड़े हों।
– ऐसे में मौसम में जहां भी ध्यान दें कि आसपास बिजली या टेलीफोन के तार न हों।
– बिजली गिरने से मृत्यु का सबसे प्रथम कारण हार्ट अटैक होता है। ऐसे में जरूरी हो तो प्राथमिक चिकित्सा कार्डियो पल्मोनरी रेस्क्यूएशन (सीपीआर) या संजीवन क्रिया शुरू कर दें।
30/30 का नियम भी कारगर-

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) के अनुसार इससे बचने के लिए मुख्य सुरक्षा नियम 30/30 भी काफी कारगर है। मतलब जब बिजली चमके को 30 तक की गिनती पूरी होने से पहले घर के अंदर पहुंच जाएं और बादल गरजने के 30 सेकेंड तक घर से बाहर न निकलें।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो