आपको बता दें कि दोनों नेताओं ने एमपी-एमएलए कोर्ट में सरेंडर किया था। यहां से कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया था। हालांकि दोनों नेताओं ने सरेंडर के साथ अंतरिम जमानत की अर्जी भी डाली थी, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई के बाद अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी। इससे पहले ही दोनों नेताओं को कोर्ट ने भगोड़ा घोषित करते हुए उनकी संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस मामले में इंस्पेक्टर हजरतगंज को 20 फरवरी तक दोनों की संपत्ति कुर्की की आख्या भी पेश करने का आदेश दिया था।
मामले में ये भी आरोपी बहुजन समाज पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय सचिव मेवा लाल गौतम, अतर सिंह राव, नौशाद अली भी इस मामले में अभियुक्त हैं। 12 जनवरी को सभी अभियुक्तों के खिलाफ 508, 509, 153a, 34, 149 और पॉक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल हुई थी। बसपा सुप्रीमो के खिलाफ बीजेपी नेता की अमर्यादित टिप्पणी के बाद भड़के बसपा नेताओं ने लखनऊ में प्रदर्शन किया था। इस दौरान दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह, मां तेतरी देवी और नाबालिग बेटी को लेकर अभद्र टिप्पणी की गई थी। इसी मामले में 22 जुलाई 2016 को दयाशंकर सिंह की मां तेतरी देवी ने हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।
कोर्ट इसलिए हुआ सख्त दरअसल हजरतगंज थाने में दर्ज इस मामले में नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर को पेश होना था, लेकिन वारंट जारी होने और भगोड़ा घोषित होने के बाद भी दोनों कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए और हाजिरी माफी और तारीख बढ़ाने की अर्जी दी। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह अर्जी पोषणीय नहीं है। वहीं दूसरे तीन आरोपी मेवा लाल गौतम, अतर सिंह राव, नौशाद अली कोर्ट में पेश हुए थे।